आज पटना के एक्ज़िबिशन रोड का गोलंबर में अजब मामला हुआ । वहां ड्यूटी पर तैनात ट्रैफिक पुलिस ने एक कार को रोका. उसने ट्रैफिक नियम तोड़ा था. चालान काटे जाने पर बहसबाजी हुई. होते-होते हालात इतने बिगड़े कि पुलिसवालों पर पत्थर फेंके गए.
ये दोपहर करीब 1 बजे की बात है. महिला कार ड्राइव कर रही है. उसने सीटबेल्ट नहीं लगाया हुआ था. ट्रैफिक पुलिस ने उसे रोका. चालान काटा. 1 सितंबर से लागू नए मोटर वाहन अधिनियम के तहत, सीटबेल्ट न पहनने पर हज़ार रुपये का जुर्माना है. महिला ने बहस की. आस-पास लोग जमा हो गए. पब्लिक भी महिला को सपोर्ट करने लगी. बात इतनी बिगड़ी कि लोग पुलिस के साथ भिड़ गए. चीजें हिंसक हो गईं. लोगों ने पुलिसवालों पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया. भीड़ को हटाने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा. हालात काबू करने के लिए पूरे एक्ज़िबिशव रोड पर पुलिस फोर्स तैनात करनी पड़ी.
महिला ने इंडिया टुडे को बताया- मैं PMCH जा रही थी, जब ट्रैफिक पुलिस ने मुझे रोका और मुझसे कार पार्क करने को कहा. मैंने उन्हें सारे कागज़ात दिखाए. फिर भी वो कहने लगे कि मुझे सीट बेल्ट न पहनने की वजह से 5,000 रुपये का चालान भरना होगा.
महिला का दावा है कि उसने सीट बेल्ट लगाया हुआ था. उसका ये भी कहना है कि पुलिस ने जेबरा क्रॉसिंग तोड़ने पर भी चालान की बात कही. जबकि उन्होंने खुद ही गाड़ी घुमाकर किनारे लगाने को कहा था.
घटना के बारे में बताते हुए सुरेश प्रसाद, DSP टाउन ने बताया-
मोटर वाहन से जुड़े नए नियमों से नाराज़ कुछ लोगों ने एक्ज़िबिशन रोड पर हंगामा किया. इसकी वजह से इलाके में गाड़ियों की आवाजाही रुक गई. उस महिला ने सीट बेल्ट नहीं बांधा हुआ था. इसीलिए उनका चालान काटा जा रहा था. स्थानीय लोग भी महिला के समर्थन में जमा हो गए और उन्होंने उपद्रव मचाया.
नए नियमों में सीट बेल्ट न बांधने पर 1,000 रुपये के चालान का प्रावधान है. ऐक्ट के 194 B में इस जुर्माने का ज़िक्र है. पहले ये रकम 100 रुपया थी. पुलिस ने 5,000 रुपये का जो चालान काटना चाहा, उसमें सीट बेल्ट के अलावा भी अलावा भी कोई उल्लंघन शामिल था, अगर हां तो क्या, ये अभी मालूम नहीं चल सका है.
नए यातायात नियमों में भारी चालान के प्रावधान पर लोगों की राय बंटी हुई है. कुछ का कहना है, सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिहाज से ये कानून सही है. आलोचना करने वाले कह रहे हैं कि रकम काफी ज़्यादा है. आर्थिक तौर पर कमज़ोर लोगों से इतना ज़्यादा जुर्माना वसूल करना ग़लत है. केंद्र और राज्य भी एक लाइन पर नहीं दिख रहे हैं. गुजरात और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने अपनी तरफ से नियमों में बदलाव करते हुए जुर्माने की रकम घटा भी दी है.