अगस्त क्रांति । यानी 29 अगस्त 1942 का दिन । भारत को अंग्रेजी शासन से मुक्त करवाने के लिये सहरसा के वीरों ने भी अपनी प्राणों की आहुति दी थी । सहरसा के 6 वीरों ने अंग्रेजी हुकूमत को नेस्तनाबूद करने का काम किया था । इन शहीदों की याद में सहरसा के चांदनी चौक में एक शहीद स्मारक बना हुआ है । जो इन वीर शहीदों की याद दिलाता रहता है ।
इस आंदोलन में नरियार के शहीद केदारनाथ तिवारी, बनगाँव के शहीद हीराकांत झा व शहीद पुलकित कामत, चैनपुर के शहीद भोला ठाकुर, एकाढ़ के शहीद धीरो राय एवं बलहा-गढ़िया के शहीद कालेश्वर मंडल ने अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती देते हुए अपने प्राणों की आहुति देकर सहरसा का नाम रौशन किया ।
सहरसा का इतिहास आंदोलनकारियों का इतिहास रहा है । और यहाँ के वीर पुरूषों की बलिदान को आज के युवा प्रेरित होकर राष्ट्रप्रेम की प्रेरणा लेते हैं । शहीद दिवस के अवसर पर प्रत्येक वर्ष सहरसा वाशी शहीद चौक पर एकत्रित होकर शहीदों को याद करते हैं ।