एक कहावत है बिहारी अपनी पुरी बात इशारों में समझा सकते हैं । ऐसे की आपके सामने बात हो और आपको पता भी न चलें । अगर आप किसी व्यक्ति से पुछिये कि कैसे हैं आप ? और अगर सामने वाला इस बात को नहीं सुना कि आपने स्पष्ट क्या कहा तो वो आपसे पूछेगा
1) हिन्दी वाला कहेगा – श्रीमान मुझे सुनाई नहीं दिया क्या आप इसे दुहराएंगे ?
2) अंग्रेजी वाला कहेगा – Sorry I did not hear your properly will you please repeat it.
इसी प्रकार अन्य भाषा-भाषी अपने भाषा में इसे समझाने को कहेंगे । लेकिन अगर आप बिहार से हैं तो आप बस गर्दन को उपर की तरह झटक कर कह देंगे ‘आयं’ और आप समझ जाएंगे कि सामने वाला दुहराने को कह रहा है ।
इसी प्रकार हूँ, हाँ आदि करके कई प्रकार की मूक भाषा में बात हो जाती थी । लोग कई प्रकार के भावों को प्रकट करके खुशी और गम का बोध करवा देते थे । लेकिन अब समय बदल गया है । कोरोना और बदलते परिवेश ने मूक भाषा का प्रयोग लगभग बन्द कर दिया है । अब लोग चेहरे के भाव से शब्दों का अंदाजा नहीं निकाल पाते हैं । इससे न केवल भविष्य में मूक भाषा का प्रचलन बन्द हो जाएगा बल्कि भावों को पढ़ने का प्रयोग भी खत्म हो जाएगा ।