भाद्रपद महीने की पूर्णिमा यानी कि आज 20 सितंबर 2021 से पितृ पक्ष शुरू हो रहे हैं. हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को बहुत अहम माना गया है. पितृ पक्ष के इन 16 दिनों की अवधि के दौरान सभी पूर्वज अपने परिजनों को आशीर्वाद देने पृथ्वी पर आते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंड दान किया जाता है। पितृपक्ष में किये गए दान-धर्म के कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को तो शांति मिलती है, साथ ही पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।
ताकि पूर्वजों का आशीर्वाद पाकर जिंदगी में सफलता, सुख-समृद्धि पा सकें. वहीं पूर्वजों की नाराजगी कई मुसीबतों का कारण बनती है. धर्म पुराणों में पितृ पक्ष को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं. जिनका पालन जरूर करना चाहिए.
ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के पखवाड़े में पितृ किसी भी रूप में आपके घर में आते हैं। किसी भी पशु या इंसान का अनादर नहीं किया जाना चाहिए। आपके दरवाजे पर आने वाले किसी भी प्राणी को भोजन दिया जाना चाहिए और आदर सत्कार करना चाहिए।
जिस तिथि को पितरों की मृत्यु हुई हो, उस तिथि को उनके नाम से श्रद्धा और यथाशक्ति ब्राह्मणों को भोजन करवाएं। भोजन गाय, कौओं और कुत्तों को भी खिलाएं. जिन पितरों की पुण्यतिथि परिजनों को ज्ञात नहीं हो तो उनका श्राद्ध, दान, एवं तर्पण पितृविसर्जनी अमावस्या के दिन करते है। पितृविसर्जनी अमावस्या तिथि को समस्तों पितरों का विसर्जन होता है।
पितृ पक्ष का महत्व
वेदविद्यालय हनुमान सेतु के वेदाचार्य गोविन्द कुमार शर्मा पितृ पक्ष में विधि विधान से तर्पण करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। यह भी कहा जाता है कि पितृ पक्ष में जो भी अर्पण किया जाता है वह पितरों को मिलता है। पितृ अपना भाग पाकर तृप्त होते हैं और प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।