बिहार सरकार की ओर से सभी डीएम को आदेश जारी किया गया है कि वह इस बात का ध्यान रखें कि मीडियाकर्मी बाहर से आ रही रेल यात्रियों से बात ना कर सकें, वरिषठ प़त्रकार और कशिश न्यूज के संपादक संतोष सिंह के अनुसार लोकतंत्र है सिस्टम को सबसे अधिक ख’तरा मीडिया से ही है । कितनी ट्रेने आयेगी मीडिया को इसकी जानकारी नहीं मिलनी चाहिए। कोई सवाल है तो दो घंटे पहले सवाल मैसेज करिए। जी हाँ ये फरमान आज शाम जारी हुआ है कोरेनटाइन सेंटर से जुड़ी खबरे दिखाने पर आप पर आपदा प्रबंधन कि धारा के तहत कारवाई होगी । डीएम को आदेश हुआ है कि मीडिया को रेलवे से आने वाले मजदूर से दूर रखे ।
अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा निर्णय क्यों किया गया है। जवाब साफ है सरकार अपनी खामियों को छुपाने के लिए और समाज के बीच अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए ऐसा कर रही है। आपको याद होगा कि जब यह फैसला किया गया कि कोटा से बच्चों को और मजदूरों को नहीं लाया जाएगा तब कैसे मीडिया फ्रंट फुट पर आकर सीएम नीतीश से सवाल पूछने लगी। प्रवासी मजदूरों से लिए जा रहे रेल किराए पर राजनीति शुरू हो गई। अंत में सीएम नीतीश ने खुद ऐलान किया कि सभी प्रवासी श्रमिक को 21 दिन बाद 1000 की राशि दी जाएगी। इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने जब यह कहा कि रेलवे की ओर से किसी भी यात्रियों से कोई किराया नहीं ली जा रही है तब यह मीडिया वाले थे जिन्होंने माइक और कैमरा लेकन इन मजदूरों का साथ दिया और सरकार का भंडाफोड़ किया।
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