बिहार में बाढ़ के हालात में प्रोटोकॉल और अफसरशाही की शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। जहां महनार के वाया नदी पर बने बांध के टूटने से कई गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा गया। जिसे देखते हुए ग्रामीण जुगाड़ टेक्नोलॉजी से बांध की मरम्मत करने जुट गये। इस दौरान सड़क के एक बड़े हिस्से के बह जाने से लोगों की परेशानी और बढ़ गयी है। वही जिले के अधिकारी मंत्री की आगवानी और प्रोटोकॉल के चक्कर में दिनभर मंत्री जी के साथ बैठक करते रहे। इस दौरान अधिकारियों ने टूटे बांध की सुध तक नहीं ली। हालांकि लोग इंतजार में बैठे थे कि उनकी सुध लेने मंत्री जी जरूर आएंगे लेकिन उनकी यह उम्मीद भी टूट गई।
दरअसल महनार के वाजिदपुर में वाया नदी के साथ बने बांध में दरार आ गई थी। बांध में आई दरार से पानी आबादी वाले इलाकों की तरफ बहने लगी। लोगों ने बांध में दरार देखा तो रात में ही गांव के मस्जिद में लगे लाउडस्पीकर से खतरे को लेकर आगाह किया। सुबह होते ही बांध के साथ सड़क का एक बड़ा हिस्सा टूट गया और पानी तेजी से घनी आबादी वाले इलाकों में घुसने लगी।
इससे करीब 10 पंचायतों के डूबने की आशंका से सहमे लोगों ने बांध की मरम्मत में जुट गये। बांध टूटे करीब 10 घंटे गुजर गये लेकिन ना तो कियी जनप्रतिनिधि ने ग्रामीणों की सुध ली और ना ही किसी अधिकारी ने। काफी देर बाद एक JCB मौके पर पहुंची जरूर लेकिन जिम्मेदार अधिकारी नदारद दिखे। ग्रामीणों को यह पता चला कि जिले के प्रभारी मंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री जयंत राज आए हुए हैं। जो बाढ़ को लेकर जिले के अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। मंत्री जी दिनभर अधिकारियों के साथ बैठक करते रहे लेकिन महनार के बांध की मरम्मत करने की सुध नहीं ली। बांध टूटने और बाढ़ के खतरे के बीच जद्दोजहद करते ग्रामीण सरकारी मदद नहीं मिलने से नाराज दिखे। जिले में बैठक कर निकले मंत्री जी बैठक के फायदे बताने लगे और कहा की क्षति का आकलन के बाद मदद पहुंचा दी जायेगी।