पटना हाईकोर्ट ने श’राब पीने या बेचने के जुर्म में गिरफ्तार लोगों को पीएम केयर्स फंड में रुपए जमा कराने पर ही जमानत देने का आदेश दिया है। जस्टिस अंजनी कुमार शरण ने कई जमानत याचिकाओं की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। एक अनुमान के मुताबिक इससे पीएम केयर्स फंड को करीब 3 लाख रुपए मिलेंगे। ऐसे आदेश की शुरुआत प्रफुल्ल कुमार की जमानत अर्जी से हुई। प्रफुल्ल की अर्जी में कहा गया था कि जिस गाड़ी से श’राब बरामद हुई है, उससे उसका कोई लेना देना नहीं है। क्योंकि वह गाड़ी का मालिक है और घटनास्थल पर मौजूद भी नहीं था। उसका ड्राइवर गाड़ी चला रहा था।
उसे इस मामले में गलत ढंग से फंसाया गया है। सो, जमानत दी जाए। कोर्ट ने पीएम केयर्स फंड में रुपये जमा करने की बात कही। प्रफुल्ल ने कहा कि वह इस फंड में 10 हजार रुपए जमा कराने को तैयार है। कोर्ट ने उसे 20 हजार रुपए के मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि उसका बंधपत्र तभी स्वीकार किया जाए, जब वह पीएम केयर फंड में राशि जमा कराने की रसीद दिखाए। जस्टिस शरण ने अलग-अलग मामलों में श’राब बरामद होने के हिसाब से राशि जमा कराने की सहमति देने वाले अभियुक्तों को जमानत देना स्वीकार किया।
वकीलों ने चीफ जस्टिस से कहा-कोरोना संक्रमण की स्थिति भयावह, जान बचाना सबसे जरूरी, इसलिए फिलहाल वीसी से ही चले कार्यवाही : पटना हाईकोर्ट के तीन अधिवक्ता संघों की समन्वय समिति ने चीफ जस्टिस संजय करोल से कहा कि बिहार में कोरोना संक्रमण भयावह स्थिति की तरफ बढ़ रहा है; जान बचाना सबसे जरूरी है, इसलिए फिलहाल वीसी (वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग) के जरिए ही राज्य की अदालतों की कार्यवाही चले। हां, इस बारे में सुप्रीम कोर्ट का जो भी निर्देश आए, उसका अनुपालन जरूर सुनिश्चित किया जाए। तब तक ई-फाइलिंग व वीसी की व्यवस्था जारी रहे। दरअसल, देश के कई हाईकोर्ट ने 15 जून तक ही वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग से कार्यवाही चलाने का निर्णय लिया है। समन्वय समिति ने इसे गैर मुनासिब कहा।
अदालत पहले की तरह चलने से बढ़ेगी भीड़ : समिति के अध्यक्ष योगेश चन्द्र वर्मा व अन्य पदाधिकारियों ने शनिवार को बैठक की, फिर चीफ जस्टिस से उक्त आग्रह किया। वर्मा ने कहा कि अदालतों को पहले की तरह शुरू करने से अनावश्यक भीड़ बढ़ेगी। प्रदेश कोरोना के मामले में भयानक स्थिति की तरफ बढ़ रहा है। समिति ने पिछली बैठक में 31 मई तक कोर्ट नहीं जाने का निर्णय लिया था। लॉकडाउन को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट का जो दिशा-निर्देश आएगा, उसी के अनुसार कोर्ट की कार्यवाही शुरू करने के बारे में निर्णय लिया जाएगा। अभी वकीलों, मुवक्किलों तथा न्यायिक कार्य से जुड़े तमाम लोगों की जान बचाना ज्यादा जरूरी है।