बिहार के प्लस टू पास 85.5 प्रतिशत स्टूडेंट पढ़ाई छोड़ देते हैं या फिर उच्च शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों में चले जाते हैं। 18 से 23 साल के छात्र-छात्राओं के लिए उच्च शिक्षा के मामले में झारखंड से हम पीछे हैं। शिक्षा मंत्रालय की ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआईएसएचई) की 2019-20 की रिपोर्ट में हम राष्ट्रीय औसत से 12.6 तो झारखंड से 6.4% पीछे हैं। बिहार का ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो (जीईआर) मात्र 14.5% है। छात्रों में इसका अनुपात 15.8 % जबकि छात्राओं का 13.1% ही है। 2019-20 में राज्य के कॉलेजों और उच्च शिक्षा संस्थानों में कुल नामांकन 1738432 था। देश में ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो (सकल नामांकन अनुपात) में बिहार 37 में 33वें स्थान पर है। ये आंकड़े बिहार की उच्च शिक्षा की बदहाली दर्शा रहे हैं। बिहार सिर्फ लद्दाख, लक्षद्वीप, दमन दीव और दादरा नगर हवेली जैसे प्रदेशों से ही आगे है। सिक्किम का जीईआर सबसे अधिक 75.8 है। राष्ट्रीय औसत 27.1% है। इसमें छात्र 26.9 प्रतिशत और छात्राएं 27.3 प्रतिशत है। 2018-19 में 13.6% जीईआर की तुलना में 2019-20 में 0.9% भले बढ़ा है लेकिन 2016-17 की तुलना में मात्र 0.1% ही बढ़ा है।
प्रति लाख जनसंख्या पर 7 कॉलेज, देश में सबसे कम
बिहार में प्रति लाख जनसंख्या पर 18 से 23 आयु वर्ग पर कॉलेजों की संख्या सबसे कम सात और सबसे अधिक कर्नाटक में 59 है। इसका राष्ट्रीय औसत 30 है। शिक्षकों के प्रतिशत के हिसाब से पुरुष 78.4 और महिला 21.6 हैं। राज्य में 35 विश्वविद्यालय और महत्वपूर्ण संस्थान हैं। इसमें 17 राजकीय विवि हैं। 4 केंद्रीय, 5 राष्ट्रीय महत्व के संस्थान और 6 राजकीय निजी विश्वविद्यालय हैं। बिहार में कॉलेजों की संख्या 874 है। प्रति कॉलेज नामांकन का औसत 1703 है। बिहार में अनुसूचित जाति वर्ग में छात्र 14.2 और छात्रा 8.5 यानी औसत 11.4 है। अनुसूचित जन जाति वर्ग के छात्र 24.2 और छात्रा 18.7 यानी औसत 21.4 प्रतिशत है।