लॉक डाउन अवधि में स्कूल बंदी के दौरान निजी विद्यालय प्रशासन द्वारा मनमानी ढंग से वसूले जा रहे स्कूल फ़ीस पर अंकुश लगाए जाने के सम्बंध में मुख्यमंत्री बिहार को पत्र लिख कर रजनीकांत पाठक ने मुख्यमंत्री बिहार से हस्तक्षेप की मांग की है।
सामाजिक कार्यकर्ता रजनीकांत पाठक ने असंख्य स्कूली बच्चें के अभिभावक के दर्द को समझ कर आवाज उठाई है और हर हाल में फीस कटौती की मांग की है।उन्होंने मुख्यमंत्री के लिखे पत्र में मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा है की , मार्च 2020 से राज्य व देश में वैश्विक महामारी करोना से उत्पन्न स्थिति के कारण सम्पूर्ण रूप से लॉकडाउन घोषित कर दिया गया था । यहाँ यह भी ग़ौरतलब हो कि, लॉक-ड़ाउन की अवधि में सभी सरकारी व ग़ैर सरकारी विद्यालय सम्पूर्ण रूप से बंद रहे ।
ज्ञात हो कि इस बंद की अवधि के दौरान सभी निजी बड़े विद्यालयों द्वारा मनमानी ढंग से पूर्ण फ़ीस वसूला गया है । यही नहीं जबकि चालू शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के प्रथम तिमाही में भी पटना के साथ – साथ अन्य ज़िलों में भी निजी विद्यालय द्वारा जबरन व मनमानी ढंग से पूरी फ़ीस वसूली जा रही है । यहाँ यह भी आश्चर्य है की , जो सुविधाएँ निजी विद्यालयों द्वारा बच्चों को प्रदान नहीं किए जा रहे हैं उसका मासिक फ़ीस भी खुल्लम – खुल्ला वसूला जा रहा है ।
विदित हो कि फ़ीस प्राप्ति रसीद में उल्लेखित विवरण के अनुसार जिस प्रकार फ़ीस वसूला जा रहा है इससे निजी विद्यालय प्रशासन की मंशा “आपदा में अवसर “ की भावना को प्रकट करता है । कहने का तात्पर्य यह है की, जो सुविधा बच्चों को स्कूल जाने के बाद दिया जाता था स्कूल बंदी के दौरान भी वे सारे फ़ीस बच्चों के अभिभावकों से वसूले जा रहे हैं । यह घोर अन्याय और कष्टकारी है ।