![Kadambini Ganguly, Firt Lady Doctor in India, First Lady Doctor in Bihar, Bihar lady doctor, Bihar news, Bihar lettest news, Bihar khabar, Bihar hindi news, Bihar lettest update,](https://www.thehawabaaz.com/wp-content/uploads/2021/07/Kadambini-Ganguly-first-lady-doctor-in-india.jpg)
कादम्बिनी गांगुली । भारत की पहली महिला डॉक्टर । आज 160वां जयंती है । गुगल ने डूडल बनाकर इस बिहार की इस बेटी का याद किया है । इस डूडल को बेंगलुरु के कलाकार ओड्रिजा ने चित्रित किया है। गांगुली के पिता ने उनको तब स्कूल भेजा था जब भारतीय महिलाओं के लिए शिक्षा असामान्य थी। 1883 में गांगुली और उनके साथी चंद्रमुखी बसुइन भारतीय इतिहास में स्नातक करने वाली पहली महिला बनीं।
कादम्बिनी गांगुली का जन्म ब्रिटिशकालीन भारत में 18 जुलाई 1861 ई. में भागलपुर, बिहार में हुआ था। उनका परिवार चन्दसी (बारीसाल, अब बांग्लादेश में) से था। इनके पिता का नाम बृजकिशोर बासु था। उदार विचारों के धनी कादम्बिनी के पिता बृजकिशोर ने पुत्री की शिक्षा पर पूरा ध्यान दिया। कादम्बिनी ने 1882 में ‘कोलकाता विश्वविद्यालय से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की थी।
हम बात कर रहे हैं भारत की पहली महिला ग्रेजुएट की जिसने महिलाओं की शिक्षा का बिगुल पहले ही बजा दिया था जिसके बाद महिलाएं अब अपना-अपना झंडा लहरा रही हैं। कादम्बिनी गांगुली न सिर्फ भारत की पहली महिला ग्रेजुएट थीं बल्कि भारत की पहली महिला डॉक्टर भी थीं। उस समय भारत में ब्रिटिश राज हुआ करता था। भागलपुर में हेडमास्टर की नौकरी करने वाले बृजकिशोर ने 1863 में भागलपुर महिला समिति बनाई थी, जो भारत का पहला महिला संगठन था। 1878 में कादम्बिनी कलकत्ता यूनिवर्सिटी का एंट्रेस एग्जाम पास करने वाली पहली लड़की बन गई थीं। उनके इस सफर में देश की पहली महिला ग्रेजुएट होने का माइलस्टोन भी शामिल है। हमें अपनी बच्चियों को स्कूल तक पहुंचाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं। इमोशनल ऐड बनाने पड़ते हैं, लोगों को दलिया, पैसे और बस्ते का लालच देना पड़ता है और ये सब 2017 में हो रहा है। सोचिए 19वीं शताब्दी में क्या हाल रहा होगा। फिर भी कादम्बिनी हायर एजुकेशन के लिए सात समंदर पार यूरोप गईं। जब लौटीं तो उनके हाथ में मेडिसिन और सर्जरी की तीन अडवांस डिग्रियां थीं। वो उस समय की सबसे पढ़ी-लिखी महिला थीं। कई पुरुषों से भी ज्यादा।
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कादम्बिनी भारत की पहली वर्किंग मॉम भी थीं। मां, डॉक्टर और सोशल एक्टिविस्ट का रोल एक साथ निभाना उनके लिए भी आसान नहीं था, लेकिन वो कोई आम महिला नहीं, कादम्बिनी गांगुली थीं। वो, जो किसी भी महिला के अंदर जान लगाने का जज्बा फूंक दें। 21 की उम्र में कादम्बिनी की शादी 39 साल के विधुर द्वारकानाथ गांगुली से हुई थी। द्वारकानाथ भी ब्रह्मो समाज के एक्टिविस्ट थे। पिछली पत्नी से उनके 5 बच्चे थे और कादम्बिनी 3 बच्चों की मां बनीं। उन्होंने 8 बच्चे पाले। उनके बारे में लिखने वाले बताते हैं कि उनकी शादीशुदा जिंदगी बड़ी खुशहाल थी।शादी के बाद कादम्बिनी जल्दी ही मेडिकल कॉलेज चली गईं। लेडी डफरिन हॉस्पिटल में कुछ दिनों तक काम करने के बाद उन्होंने प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू कर दी थी।