जब बिहार के मुख्यमंत्री हाथ खड़े दें । उपमुख्यमंत्री खुद एनडीआरएफ की टीम के आगे नतमस्तक हो जाये । हाथ जोड़ कर कह दें कि, ‘हथिया है बरसेगा नहीं तो और क्या करेगा ।’ और बिहार के मुख्यमंत्री कह दे कि, ‘नेचर की चीज है, इस पर किसका जोड़ है ।’ किसी मुख्यमंत्री के मुँह से सुनना कि, क्या किया जा सकता है, उतना ही दुखदायी है जितना एक डॉक्टर के मुँह से सुनना की सब भगवान भरोसे है । जब सीएम ने कहा कि इसपर किसका जोर है तो लगा कि बिहार ने अपना लीडर खो दिया है ।

लेकिन इस जुमलेबाजी और बैठकों के तमाम कोशिशों के बीच नीतीश कुमार की नाव से पहले पटना के कुछ जोशिलें युवाओं ने कमान अपने हाथ में ले ली है । ये न सिर्फ बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाकर राहत पहुँचा रहे है, बल्कि लोगों को रेस्कयू करने में भी मदद कर रहे हैं । और यह सब ये लोग अपने और अपने साथ वालों के दम पर कर रहे हैं । न ही कोई एनजीओ है इनकी, न ही कोई संस्था… बस लगे पड़े है । इनका मकसद सिर्फ और सिर्फ सेवा है ।

जब सरकार अपना हाथ खड़ा कर दें तो इन जैसे युवाओं के भरोषे ही शहर की नैया होती है, और इन्हे ये बखुबी से अंजाम तक पहुँचाते भी है । पुष्य मित्र, सत्यम कुमार झा, सोमु आनंद, राज रवि, पुजा कौशिक, ज्योत्सना कश्यप आदि जैसे तमाम युवाओं ने वो कर दिखाया जिसके लिये सरकार पंगु हो गई थी । इन लोगों ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाकर पानी, खाना और रेस्कयू के लिये वो सब किया जो सरकार को करना चाहिये था ।
ये लोग सोशल मीडिया के द्वारा एक दुसरे के संपर्क में आए हैं और अब टीम बनाकर काम कर रहे हैं । इनकी टीम अलग अलग इलाकों में जाकर लोगों को रेस्क्यू कर रही है, राहत बांट रही है । सनद रहे कि मुजफ्फरपुर में जब चमकी बुखार से सैंकड़ों की संख्या में लोग प्रभावित हुए थे उस समय भी ये युवा वहाँ इसी तरह लोगों की मदद करने पहुँच गए थे ।
टीम हवाबाज की तरफ से उन जैसे तमाम युवाओं को बार-बार सलाम पहुंचे। मेरा शहर सही प्रशासन के हाथ में हो ना हो लेकिन बेहद सही युवाओं के हाथ में है।