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कोविड-19 ने देश को कई तरह से नुकसान पहुंचाया है। इस महामारी ने कई लोगों की नौकरियां भी छीन लीं। हालत यह हो गई है कि आईटी-इंजीनियर और ग्रेजुएट छात्र चंद पैसे कमाने के लिए नाला साफ कर रहे हैं। महाराष्ट्र के मुंब्रा इलाके में कुछ ऐसे ही छात्र नाला सफाई के काम में लगे नजर आए। न्यूज एजेंसी ‘PTI’ से बातचीत में एक छात्र ने कहा कि उन्हें यह काम करने में कोई शर्म नहीं है क्योंकि कोई काम छोटा नहीं होता और उन्हें अपने परिवार की मदद करनी है।
दीवा से 20 लोगों के एक ग्रुप को यहां के एक प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर ने नाला सफाई के लिए हायर किया है। हर साल मॉनसून की बारिश के बाद जिले में नालों की सफाई की जरुरत होती है और फिर इसके लिए लोगों को हायर किया जाता है।
नाले की सफाई के लिए जिन लोगों को हायर किया गया है उनमें से कई लोग काफी पढ़े-लिखे हैं। समीर नाम के एक युवक ने बताया है कि वो डबल ग्रेजुएट हैं। वो पिछले तीन महीने से इस कॉन्ट्रैक्टर के साथ काम कर रहे हैं। एक न्यूज चैनल से बातचीत में समीर ने कहा कि ‘बाहर कोई नौकरी नहीं है। महामारी की वजह से कंपनियां बंद हो गई हैं। मुझे जरुरत है जॉब की ताकि जिंदगी चल सके और मैं अपने परिवार का ख्याल रख सकूं।’
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नाला सफाई के काम में लगे अनिल एक आईटी-इंजीनियर हैं। इनमें से कई लोग जॉब करते थे लेकिन महामारी के दौरान इनकी नौकरी चली गई। ट्रांसपोर्ट का पैसा बचाने के लिए यह लोग दीवा से मुंब्रा करीब 10 किलोमीटर का सफर पैदल ही रोज तय करते हैं और यहां आकर काम करते हैं।
एक अन्य शख्स ने यहां बातचीत में कहा कि ‘किसी को भी किसी काम को छोटा नहीं समझना चाहिए। आखिरकार हमें जिंदा रहना है और अपने परिवार की मदद करनी है। क्या हुआ अगर हम पोस्ट ग्रेजुएट या डबल ग्रेजुएट हैं? हमारी डिग्रीयां हमारी मदद नहीं करने वाली हैं…यह जॉब भी कुछ ही हफ्तों के लिए है, इसके बाद हमें दूसरा काम ढूंढना होगा।’
इन लोगों को आय के स्त्रोत की जरुरत थी। इसी वजह से उन्होंने कॉन्ट्रैक्टर से मॉनसून आने से पहले संपर्क किया था और मजदूरों की टीम का हिस्सा बनने की इच्छा जताई थी। मुंब्रा के जिस वार्ड में नाला सफाई का काम चल रहा है वहां की कॉन्ट्रैक्टर कहती हैं कि ‘उनकी सहानुभूति उनके साथ है क्योंकि उन्होंने अपनी नौकरी गंवाई है। मैं इस काम के लिए उन्हें सलाम करती हूं।’