SBI Ecorap की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना संकट के कारण वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल कीकीमतों में 30 फीसदी की गिरावट पर भारत में पेट्रोल 12 रुपये और डीजल 10 रुपये प्रति लीटर तक सस्ता हो सकता है।
हालांकि, अगर केंद्र और राज्य दोनों ईंधन की कीमतों में कटौती नहीं करना चाहते हैं तो उन्हें किसी भी परिस्थिति में उत्पाद शुल्क में वृद्धिनहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से आम लोगों को कीमतों में नरमी का लाभ नहीं मिलेगा।
वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें लगभग 30 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई हैं। एसबीआई इकोरैप की रिपोर्ट में दावाकिया गया है कि उत्पाद शुल्क नहीं बढ़ाने की स्थिति में ही लाभ मिल पाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार को मिलने वाले अतिरिक्त राजस्व को निचले तबके के लोगों को राहत देने में खर्च करना चाहिएक्योंकि कोरोना वायरस के कारण व्यावसायिक गतिविधियां बंद हो गई हैं। इससे उनके सामने रोजगार और आय का संकट उत्पन्न होगया है।
एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्या कांति घोष ने कहा कि विभिन्न प्रयासों के साथ सरकार को उपभोक्ता मांग बढ़ानेपर जोर देना चाहिए। साथ ही इस खतरनाक वायरस के संक्रमण को रोकने और रोजगार पैदा करने के लिए राहत पैकेज की घोषणाकरनी चाहिए।
घोष ने कहा कि भारत में Covid-19 से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ने से आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होगी, जिससे अर्थव्यवस्था के साथफार्मास्युटिकल क्षेत्रों से जुड़े निर्यात पर असर पड़ेगा। इसके अलावा, प्रत्यक्ष निर्यात के मोर्चे पर भी समस्या का सामना कर पड़ा सकताहै। वहीं, मांग के मोर्चे पर एयर ट्रांसपोर्ट, पर्यटन और होटल जैसे क्षेत्रों पर प्रतिकूल असर पड़ने की आंशका है। इससे अन्य क्षेत्र भीप्रभावित होंगे।
घोष ने कहा कि आरबीआई को दरों में कटौती से ज्यादा समन्वित नीति प्रक्रियाओं पर ध्यान देना चाहिए। हालांकि, अगर आरबीआईबड़ी मात्रा में दरों में कटौती करता है तो इसका भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसका नतीजा पूंजी निकासी के रूप में सामने आ सकता है।उन्होंने कहा कि एक सीमा से अधिक दरों में कटौती करने का असर बाजार पर पड़ेगा। भारतीय बाजार से निवेशकों का मोह भंग होगा।