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भाग एक पढ़ने के लिये कृप्या यहाँ क्लीक करें – भाग – 1
अगले 5 से 12 दिन कोविड 19 के कैलेंडर में ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। पर उनकी बात हम बाद में करेंगे पहले तो आपको हम पहले अध्याय से भी पहले लिए चलते हैं, जब आप बीमार नहीं हुए थे।
आप बीमारी से बच सकते थे यदि आपने ढंग से मास्क लगाया होता और होली में गलबहियाँ नहीं की होतीं। आपने और आपके सामने वाले ने अगर ढंग से ( नाक और मुंह ढकते हुए ) साधारण मास्क भी लगाया होता और दोनों में कोई एक कोविड19 संक्रमित होता तो भी दूसरे को संक्रमित होने की संभावना नगण्य होती, यदि यह मुलाक़ात 15 मिनट से कम और वाजिब दूरी से होती।
इस एक किलोमीटर लंबे वाक्य में तीन चीजें महत्वपूर्ण हैं :
1. मास्क – दोनों लोगों को ढंग से लगा हुआ
2. दूरी – संभव हो तो दो गज की
3. मुलाक़ात का कुल समय – 15 मिनट से कम
एक सर्वे के मुताबिक मास्क मोटा-मोटी वैक्सीन के बराबर बचाव करता है।
अब आइये लगे हाथ वैक्सीन के बारे में भी बात कर लेते हैं। आज की तारीख में कुल जमा 3 वैक्सीन ( स्पूतनिक V कल ही अप्रूव हुई है ) भारत में उपलब्ध हैं। 70 से लगायत 91 प्रतिशत प्रतिरक्षा प्रदान करती हैं, ऐसा दावा किया जा रहा है। सभी वैक्सीन सुरक्शित हैं। जान का उतना ही खतरा है जितना किसी भी वैक्सीन या एंटीबायोटिक इंजेक्शन के एनाफाइलेक्टिक रिएक्शन से होता है।
ज़्यादातर मामलों में देखा गया है कि वैक्सीन की दो खुराक के बाद संक्रामण का खतरा बहुत हद तक टालाजा सकता है और संक्रमित होने की दशा में भी रोग गंभीर नहीं होता। पर 100 प्रतिशत मामलों में ऐसा नहीं देखा जा रहा। जैसे कुछ लोगों को दुबारा संक्रमण हो जा रहा है वैसे ही टीके के बाद गंभीर संक्रमण होने कि आशंका भी है, कुछ लोगों मे।
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ये ‘ कुछ ‘ लोग वे अभागे हैं जिन्हे न तो कोविड19 संक्रमण से, न ही वैक्सीन से कोई भी इमम्युनिटी बन पा रही है। ऐसा क्यों हो रहा, किसी को पुख्ता रूप से नहीं पता। शायद जेनेटिक बनावट के कारण।
तो कुल मिलाकर करना ये है कि आपको जो भी मौका मिले वैक्सीन लगवाने का, दौड़ कर लगवाना है। हमारे पास यदि प्रचुर मात्रा में वैक्सीन होती तो सभी लगवा सकते थे पर अभी जिन व्यक्तियों को सरकार लगवा रही है वे जरूर लगवा लें। फ़िलवक्त के लिए आपके पास मास्क है ही।
अब आइये फिर आते हैं कोविड कैलेंडर पर
5 – 12 दिन :
दरअसल कोविड19 में वाइरस फेफड़ों में ज्यादा तोड़ – फोड़ नहीं मचाते बल्कि हमारी रक्षा प्रणाली ही भ्रमित हो जाती है और हताश होकर भस्मासुर बन जाती है। यह कैलेंडर में उसी भस्मासुर के तांडव का समय है।
यदि आपका SPO2 94% से कम है, आपकी सांस फूल रही है तो आपको तुरंत भर्ती हो जाना चाहिए। आपको अतिरिक्त ऑक्सीजेन की आवश्यकता है।
ऑक्सीज़न की एक निश्चित मात्रा खून में हमेशा बनी रहनी चाहिए अन्यथा हमारे सारे ऊतक धीरे धीरे काम करना बंद कर देंगे, मस्तिष्क तो लगभग तुरंत ही। जब तक हमारे फेफड़े सामान्य रहते हैं, तब तक वह हवा में मौजूद ऑक्सीज़न को खींच कर खून में सप्लाई करते रहते हैं। जैसे ही इस व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न होता है , जान का खतरा उत्पन्न हो जाता है।
ऑक्सीज़न देने के लिए नेज़ल प्रोंग, ऑक्सीज़न मास्क, बाई पैप, वेंटिलेटर कि आवश्यकता होती है। बाई पैप गंभीर मरीजों को और वेंटिलेटर गंभीरतम मरीजों को लगाया जाता है।
इस भस्मासुर पर लगाम लगाने के लिए जो सबसे कारगर दवा है वह है, ‘ स्टेरोइड ‘ यह दोधारी तलवार है अतः इसका इस्तेमाल सोच समझ कर और प्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा ही किया जाना चाहिए। स्टेरोइड कारगर है इसका यह मतलब नहीं कि किसी को कोविड19 धनात्मक आया और उसने बाजार से खरीद कर खाना शुरू कर दिया। आप और बीमार हो सकते हैं, बहुत बीमार।
एक दवा है REMDESIVIR, जिसकी चर्चा आप रोज अखबारों में पढ़ते होंगे। एबोला वाइरस के खिलाफ बनाई गयी इस दवा का परीक्षण कोविड19 के मरीजों में किया गया जो प्रभावी पाया गया, ऐसा दावा इसे बनाने वाली कंपनी के अलावा भी कई शोधकर्ताओं ने किया। वहीं ऐसे शोधकर्ताओं की संख्या भी कम नहीं है जो इसके अप्रभावी रहने का दावा करते हैं।
अब भागते भूत की लंगोटी ही सही वाली कहावत पर अमल हो रहा है। जब तक कोई और दवा अपना दावा नहीं ठोंकती तब तक यही एक दवा है जो वाइरस को संतति उत्पन्न करने से रोक सकती है। इसका उपयोग भी कोविड कैलेंडर के 9 दिन से पहले ही फायदा पहुंचा सकता है। महंगी दवा है और केवल अस्पतालों में प्रयोग के लिए उपलब्ध है। हम ग्रे मार्केट में झांकना नहीं चाहते पर जिसके मरीज की जान पर बनी हुई है उसे भी न झाँकने के लिए कहने का हमारे पास नैतिक अधिकार नहीं है।
कोविड19 मरीजों में एक और खास बात देखी गयी है वह है शरीर की रुधिर नालियों में खून के थक्के बनना। इससे जान का खतरा और बढ़ जाता है। इन्हे रोकने के लिए कुछ दवाएं हैं जैसे ‘ हिपाइरिन ‘ सभी भर्ती मरीजों में यह अनिवार्य रूप से दी जाती है।
TOCILIZUMAB एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है और यह गंभीरतम मरीजों में इस्तेमाल होती है। यह कितनी खतरनाक दवा है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसको देने से पहले मरीज के रिश्तेदार को जान के खतरे की सहमति पर दस्तख़त करने होते हैं।
आपके रक्तचाप, शुगर लेवेल, किडनी, लीवर आदि की स्थिति को देखते हुए आपकी बाकी दवाएं चलाई जाती हैं।
अपने कोविड कैलेंडर पर निगाह डालिए। कोविड टाइमलाइन का आज तेरहवां दिन है, अभी आप जीवित हैं और आपको ऑक्सीज़न के लिए बाई पैप या वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ रही है, आपको TOCILIZUMAB इंजेक्शन नहीं लगाया गया है, तो आपके सकुशल घर वापसी की संभावनाएं प्रबल हैं।
घर लौट कर आपको कमजोरी रह सकती है। धीरे-धीरे ठीक हो जाएगी। आपके फेफड़े यदि क्षतिग्रस्त हो गए हैं तो आपको सामान्य दिनचर्या में और समय लग सकता है।
अभी कोविड के बाद होने वाली तमाम परेशानियों पर शोध चल रहा है, अभी पक्के तौर पर कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी।
आपको डर लग रहा है न?
– मास्क लगाइये, मास्क लगाइये, मास्क लगाइये
– भीड़ में नहीं जाइए, उचित दूरी रखिए
– वैक्सीन लगवाइए
– सजग रहिए – सुरक्षित रहिए
– डॉ प्रदीप कुमार शुक्ल
डॉ प्रदीप कुमार शुक्ल गंगा चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, दिल्ली में मुख्य परामर्शदाता हैं । आप लखनउ के वाशिंदे हैं और वहीं के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से MBBS, MD की पढ़ाई की है । सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं । फिलहाल कोरोना संकट के बीच #कोरोना_में_दुनिया नाम से सीरीज निकाल रहें है जो काफी लोकप्रिय हो रही है। यह पोस्ट वहीं से साभार लिया गया है ।