मोदी सरकार के अच्छे दिन का वादा धीरे-धीरे खत्म होने की कगार पर आता दिख रहा है। डॉलर को रूपये के बराबर करने वाली सरकार ने डीजल को डॉलर तक पहुँचा दिया । लगातार 18वें दिन की बढ़ोतरी ने डीजल को उस मुकाम पर पहुँचा दिया है जिसके लिये हम कभी सोच भी न सके थे । डीजल अब पेट्रोल से मंहगा हो गया है और इसी के साथ इसने इतिहास भी बना दिया है ।
डीजल के दाम में बुधवार को लगातार 18वें दिन बढ़ोतरी का सिलसिला जारी रहा. हालांकि, 17 दिन की लगातार बढ़ोतरी के बाद आज पेट्रोल के दाम नहीं बढ़े हैं. बुधवार को डीजल के दामों में 48 पैसे की बढ़ोतरी हुई. अब दिल्ली में एक लीटर डीजल की कीमत 79.88 रुपये प्रति लीटर हो गई है. इस बढ़ोतरी के साथ ही देश के इतिहास में पहली बार डीजल, पेट्रोल से महंगा हो गया है.
क्यों बढ़ रहे दाम
असल में सरकारों की लगातार यह सोच रही है कि पेट्रोल और डीजल में कीमत के अंतर को कम किया जाए. इसकी वजह यह है कि दोनों पर लागत लगभग एकसमान होती है और डीजल सस्ता बेचने के लिए सरकार को सब्सिडी देनी पड़ती है. डीजल पर सब्सिडी देने के पीछे यह कल्याणकारी सोच थी कि इसका इस्तेमाल एग्रीकल्चर, ट्रांसपोर्ट, बिजली जैसे जरूरी सेक्टर में होता है, इसलिए इस पर राहत दी जाए. लेकिन यूपीए सरकार में इस सब्सिडी का बोझ काफी ज्यादा हो गया था, जिसके बाद डीजल और पेट्रोल की कीमत में अंतर कम करने की बात की जाने लगी. तो मोदी सरकार ने पेट्रोल के मुकाबले डीजल पर ज्यादा टैक्स बढ़ा-बढ़ा कर दोनों की कीमत बराबर कर दी है.