राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने का फैसला किया है। शिवानंद ने सोशल मीडिया के जरिए यह जानकारी दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा कि थकान अनुभव कर रहा हूं। शरीर से ज्यादा मन की थकान है। संस्मरण लिखना चाहता था। वह भी नहीं कर पा रहा हूं। इसलिए जो कर रहा हूं उससे छुट्टी पाना चाहता हूं। संस्मरण लिखने का प्रयास करूंगा। लिख ही दूंगा, ऐसा भरोसा भी नहीं है। लेकिन प्रयास करूंगा। इसलिए राजद की ओर से जिस भूमिका का निर्वहन अबतक मैं कर रहा था उससे छुट्टी ले रहा हूं।
मालूम हो कि शिवानंद तिवारी बिहार के दिग्गज नेता में गिने जाते हैं। वे मूल रूप से भोजपूर के निवासी है। पहले वे लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल पार्टी के एक प्रमुख नेता और प्रवक्ता थे। बाद में वे जद (यू) के महासचिव और प्रवक्ता बने। 27 फरवरी 2014 को उन्हें राज्यसभा के लिए उम्मीदवार नहीं बनाते हुए पार्टी के चार अन्य लोकसभा सदस्यों के साथ नीतीश के जनता दल से निष्कासित कर दिया गया। नीतीश के जनता दल (यू) के साथ अपने निष्कासित होने के बाद लालू प्रसाद यादव के राजद में फिर से शामिल हो गए।
इन पदों का उठाया था जिम्मा
1996 – सदस्य, शाहपुर से बिहार विधानसभा- जनता दल
2000 – सदस्य, शाहपुर से बिहार विधान सभा (दूसरा कार्यकाल) – राजद
2000-2005 बिहार के आबकारी और निषेध मंत्री, कैबिनेट मंत्री
2005 – शाहपुर से 2005 का विधान सभा चुनाव जीता, राजद के टिकट पर उसी सीट से अक्टूबर 2005 का चुनाव हार गए
मई 2008 से अप्रैल 2014 – सदस्य, जदयू से राज्यसभा
अगस्त 2008 – सदस्य, वित्त सदस्य पर समिति, गृह मंत्रालय के लिए सलाहकार समिति
2014 से अब तक राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
बताया जाता है कि शिवांनद तिवारी खुद की उपेक्षा से काफी दुखी हैं। हालांकि वे अपना दुख खुलकर प्रकट नहीं किए हैं। लेकिन, मंगलवार को जारी उनके बयान ने उनकी पीड़ा को उजागर कर रहा है। इधर, राजद की जिम्मेवारियों से शिवानंद तिवारी के छुट्टी लेने को लेकर पार्टी की ओर से कोई बयान नहीं आया है। लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि अब विरोधी पार्टियां चुटकी लेने में पीछे नहीं रहेंगी।
राजनीतिक गलियारे में हो रही चर्चा की मानें तो पिछले कई माह से शिवानंद तिवारी राजद में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। खासकर जब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव जेल गए हैं, पार्टी में उनका रुतवा कम हो गया है। पिछले दिनों उन्होंने इसके संकेत भी दिए थे। साथ ही, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को कई मौकों पर नसीहतें भी दी थी।