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मधुबनी हत्याकांड अब एक नेशनल मुद्दा बन गया है । इससे पहले भी भूमि विवाद और जातीय संघर्ष में गोलिया चली हैं, लोग मरे हैं और घायल हुए हैं । लेकिन यह इस तरह का पहला मामला है जिसमें देश भर की पार्टीयाँ इंट्रेस्ट ले रही है । वजह दोषियों को सजा दिलाना नहीं बल्कि अपनी-अपनी राजनीति रोटियाँ सेकनी है ।
अमूमन पहले ऐसा होता आया है राजनीति दल आते थे । पीडि़त परिवार से मिलते थे, और उन्हे कानून का भरोसा दिलाकर कुछ आर्थिक मदद करते थे । मकसद केवल इतना होता था कि हमारी संविधान में आस्था है और कानून सदैव आपके साथ रहेगा । लेकिन इस बार मामला उल्टा पड़ गया है । इस बार नेताजी अपने साथ पैसे तो लाए लेकिन अपने साथ लाएं जांच दल का झुनझुना लाएं । जैसे वो खुद में न्यायालय हो और उनकी जांच रिपोर्ट पर सभी आँख मूंद कर भरोसा कर लेंगें ।
कांग्रेस की नजर ब्राह्मण वोटों पर
जांच दल का यह सिगुफा कांग्रेस ने शुरू । कांग्रेस ने अपने जांच दल में जो पाया उसके अनुसार प्रवीण झा अच्छा आदमी है और उन्हे बरगलाया जा रहा है । यह तब हुआ जब मुख्य आरोपी प्रवीण झा कुछ ही देर पहले गिरफ्तार किया जा चुका था । मतलब साफ है कांग्रेस को एक जाति विशेष का वोट चाहिये था । बिहार में अभी कांग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा हैं । प्रेमचन्द्र मिश्रा खुद मधुबनी से विधान पार्षद हैं वही बेनीपट्टी की विधायक भावना झा भी खुद उसी समुदाय है । ऐसे में जांच दल की ये रिपोर्ट की मुख्य आरोपी को बरगलाया जा रहा है हजम नहीं हो पा रही है । लेकिन सवाल ये भी है कि क्या बरगला कर पाँच राजपूतों की हत्या की जा सकती है । दरअसल ये सिर्फ और सिर्फ वोट की राजनीति है ।
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तेजस्वी की राजपूत वोटों पर नजर
इधर राजद का हाल अलग है । RJD के दिवंगत नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन के बाद राजपूत वोटों का पार्टी से अलग होना शुरू हो गया था। जाहिर है कि तेजस्वी की नजर इसी वजह से मधुबनी हत्याकांड पर है। इसीलिए आरजेडी ने इस कांड की जांच के लिए अपनी 7 सदस्यीय जांच टीम बनाई है जो सोमवार को घटनास्थल जाकर पीड़ित परिवार से मुलाकात कर चुकी है।
आरजेडी ने बहुत सोच समझकर अपनी जांच टीम में ज्यादातर राजपूत नेताओं को ही सदस्य बनाया है। सात सदस्यीय जांच टीम की कमान पूर्व सांसद रामा सिंह के हाथों में दी गई है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह के बेटे और विधायक सुधाकर सिंह को भी इस जांच टीम का सदस्य बनाया गया है। उनके साथ ही जेल में बंद बाहुबली आनन्द मोहन के बेटे विधायक चेतन आनंद को भी इस टीम में रखा गया है। इसके अलावा जेल में बंद प्रभुनाथ सिंह के बेटे और पूर्व विधायक रणधीर सिंह भी जांच टीम का हिस्सा हैं। यानी कुल 7 सदस्यीय जांच टीम में 6 राजपूत नेताओं को जगह दी गई है । मकसद साफ है कि राजपूत वोटरों के बीच मैसेज जा सकें कि राजद उनके साथ और उनके वोटों की लामबंदी हो सके ।
इधर सत्ताधारी पार्टी जेडीयू और बीजेपी ने भी अपने-अपने नेताओं को घटनास्थल पर कैंप करने को कह दिया है। जदयू और बीजेपी के नेता असल में दोनों तरफ से कार्ड खेलने की कोशिश में लगे हैं । विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी के विनोद नारायण झा आरोपी को बचाने में लगी है । इधर ये लोग अपने राजपूत नेताओं के साथ एक अलग वोट की लामबंदी में लगी हुई है ।
इन सबके राजनीति के बीच जाहिर है कि इस राजनीति में असल मुद्दा गौण हो गया है। बात अपराध की है लेकिन इसे जातिगत समीकरणों पर शिफ्ट करने की सियासी कोशिश है।
आईजी ने कहा- जाति नहीं बल्कि पुरानी रंजिश का मामला
इधर दरभंगा रेंज के आईजी अजिताभ कुमार ने शुक्रवार की शाम बेनीपट्टी थाना के महमदपुर गांव पहुंचकर 29 मार्च को हुई हत्याकांड की जांच की। आईजी ने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर भी बात की।
बेनीपट्टी थाने में आईजी ने कहा कि यह कांड दो जाति का मामला नहीं, बल्कि दो गुटो के आपसी रंजिश का है। पुलिस के पास जो सबूत हैं, उसके आधार पर पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी कर रही है। दावा किया गया है कि कांड के मुख्य आरोपी जल्द ही गिरफ्तार होंगे। आईटी सेल का पूरा सहयोग आरोपितों को गिरफ्तार करने के लिए लिया जा रहा है।
क्या है हत्याकांड की असली वजह
बिहार में इस हत्याकांड के बाद सियासत भी शुरू हो गई। यहां तक कहा जा रहा है कि जातीय रंजिश में इस वारदात को अंजाम दिया गया। लेकिन स्थानीय लोगों के मुताबिक मामला कुछ और है। इसमें पुलिस की कथित लापरवाही भी शामिल है।
बताया जाता है कि पूर्व सैनिक सुरेंद्र सिंह के बेटे मछली का कारोबार करते थे। कई जगहों पर उन्होंने तालाब भी ले रखे थे। इसी कारोबार से उनकी ये रंजिश इलाके के ही एक शख्स प्रवीण झा और उसके साथियों के साथ शुरू हुई। मछली के कारोबार में लगातार दोनों पक्षों में तनाव बढ़ता जा रहा था।
इसी बीच पिछले साल छठ के दौरान सुरेंद्र सिंह के सबसे बड़े बेटे पर दूसरे पक्ष के लोगों ने एक एससीएसटी केस दर्ज कराया। इसे बाद में डीएसपी ने ट्रू भी कर दिया। घरवालों का आरोप है कि ये झूठा केस था लेकिन पुलिस की लापरवाही से घर का बड़ा बेटा जेल चला गया। वो अभी भी जेल में ही है। कहा जा रहा है कि इस पूरे कांड की जड़ करीब दो साल से चला आ रहा मछली कारोबार का ही विवाद है। बताया जा रहा है कि होली की सुबह भी आरोपी प्रवीण झा और सुरेंद्र सिंह के बेटे आमने-सामने हुए थे, इसके बाद आरोपी प्रवीण वहां से निकल गया और फिर हथियारबंद लोगों के साथ वापस लौटा और अंधाधुंध फायरिंग की गई।