पटना। पटना पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। 3 महीने पहले मॉब लिंचिंग मामले में पुलिस ने जिस पीड़ित व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया था वह अपने घर लौट आया है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब मॉब लिंचिंग का शिकार व्यक्ति जिंदा था तो पुलिस ने किसे मृत घोषित कर दिया है. जबकि इस मामले में 23 लोग अभी भी जेल में बंद हैं.
पटना से सेट नौबतपुर थाना इलाके में मॉब लिंचिंग मामले को लेकर एक नया मोड़ सामने आया है. बताया जा रहा है कि नौबतपुर में हुई मॉब लिंचिंग की घटना में जिस व्यक्ति की मौत हुई थी वो जीवित है जबकि इस मामले को लेकर 23 लोग जेल में बंद हैं. वहीं कथित तौर पर मृतक कृष्णा मांझी के जीवित होने की खबर मिलने से पुलिस भी सकते में है. दरअसल महमतपुर गांव में 10 अगस्त को बच्चा चोरी के आरोप में भीड़ ने कृष्णा मांझी की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी. मृतक की पहचान रानी तालाब थाना के निसरपुरा गांव निवासी कृष्णा मांझी के रूप में की गई थी. इसके बाद पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम कराकर कृष्णा के परिजनों को सौंप दिया था. परिजनों ने शव का विधिवत अंतिम संस्कार कर दिया था. लेकिन अचानक कृष्णा सकुशल घर लौट आया है. पटना पुलिस अब यह सोच रही है कि जिस शव को कृष्णा मांझी मानकर पोस्टमार्टम कराया और परिजनों से अंतिम संस्कार भी कराया वह किसका शव था. साथ ही कृष्णा मांझी की हत्या के आरोप में जो 23 लोग गिरफ्तार किए गए थे उनका कुसूर क्या था.
इस बीच कृष्णा की पत्नी ने कहा कि 12 अगस्त को जब पुलिस शव की शिनाख्त कराने ले गई तो शव सड़े-गले हालत में था. उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस ने जबरन शव को कृष्णा मांझी का बता कर परिजनों को सौंप दिया. वहीं पुलिस सारे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. सच्चाई क्या है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन इतना तो तय है कि नौबतपुर मॉब लिंचिंग पुलिस के गले की हड्डी बन गया है.