बिहार के बक्सर जिले में कोरोनावायरस बीमारी को लेकर अजीबोगरीब वाकया देखने को मिला। कोरोना बीमारी की पूजा को लेकर महिलाओं का जनसैलाब गंगा के किनारे उमड़ पड़ा। कोरोना बीमारी को औरतों ने कोरोना माई बताया। कथित जानकारी के मुताबिक गंगा में स्नान के बाद औरतों ने 9 पीस लडडू, नौ गुड़हल का फूल, 9 लौंग, 9 अगरबत्ती को पूजा के बाद जमीन में गाड़ दिया। इसे देखने के बाद हर कोई हैरान रह गया।
बिहार के बक्सर में भारी बारिश के बीच अचानक महिलाओं का हुजूम गंगा किनारे स्नान करने के बाद पूजा अर्चना में लीन हो गया। लड्डू और गुड़हल का फूल के साथ गुड़ और तिल को महिलाए पूजा बाद जमीन में गाड़ने लगीं।महिलाओं के इस पूजा का जब पता चला तो आश्चर्य का ठिकाना नहीं था।
एक तरफ जहां तूफान बिहार में दस्तक देकर जमकर बारिश कर रहा है।वहीं ये महिलाएं कोरोना बीमारी को देश से भगाने के लिए कोरोना माई की पूजा करने में लीन हो गई।महिलाओं का ये हुजूम भारी बारिश के बीच गंगा के तट पर कोरोना माई की पूजा करने में लगा हुआ है।ये पहले गंगा में स्नान करती है फिर 9 लड्डू, 9 गुड़हल का फूल, 9 लौंग और 9 अगरबत्ती से कोरोना माई की पूजा करती हैं। फिर इन सभी सामग्री को मिट्टी खोदकर जमीन में गाड़ देती हैं।
दरसअल अब सवाल यह बनता है कि इनको ये पूजा का आइडिया कहा से आया।जब इनसे बात किया गया तो जो राज से पर्दा उठा तो वो चौंकाने वाला था।पूजा करने आई कुसुम देवी की माने तो एक वीडियो के माध्यम से उन्होंने जाना कि कोरोना को अगर भगाना है तो उनकी पूजा लड्डू, फूल और तिल से करनी होगी। तभी वो अपना प्रकोप कम करेगी और हमें उनसे निजात मिलेगा।ऐसे में जब उनसे सवाल किया क्या यह अंधविश्वास नहीं है तो उन्होंने कहा कि अगर ऐसी बात है तो हमारी आस्था अंधी है हम पूजा में विश्वास करते हैं।
ब्रम्हपुत्र प्रखंड के अधूरा गांव में गंगा किनारे आई महिलाओं को अंधविश्वास या विश्वास से कोई भी लेना-देना नहीं है।महिलाएं कोरोना को समाप्त करने के लिए कोरोना माई की पूजा करना ही अपना प्रथम कार्य मान रही हैं और उसके लिए दिन तय है सोमवार और शुक्रवार। ऐसे में आज शुक्रवार को भारी बारिश के बीच महिलाओं ने ‘कोरोना माई’ की पूजा को पूरा किया। ऐसे में महिलाओं की माने तो दुनिया जो कर रही वही वो कर रही है।कोई कुछ भी कहे पति और बेटे के लिये पूजा किया ही जाएगा।एक वीडियो से शुरू हुआ इस अंधभक्ति की हवा बक्सर में बयार बन गई है।
सोनाली कुमारी (राँची झारखंड)