
बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण के मतदान के दौरान अलग-अलग रंग देखने को मिले। यहां रंग से हमारा मतलब वोटिंग प्रतिशत से है। कहीं लोग बंदिशों के बावजूद खुलकर वोटिंग करने निकले तो कहीं के बूथ मतदाताओं के लिए तरसते रहे। अमूमन ये माना जाता है कि गांव में शहर की अपेक्षा मतदान का प्रतिशत कम ही रहता है लेकिन दूसरे चरण के मतदान के दिन बात ठीक इसके उलट थी। राजधानी पटना के बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र में बूथ नंबर 101 पर रेड कार्पेट बिछे होने के बावजूद भी 4 बजे तक 551 में केवल 82 वोट पड़े थे। यहां महज 15 फीसदी मतदान हुआ जबकि छपरा के मांझी विधानसभा क्षेत्र में बूथ संख्या 126 और 127 पर शाम के 4: 30 बजे तक 80 फीसदी मतदान हुए हैं। ये कहानी एक ऐसे बूथ की है, जहां चिकने फर्श पर हर तरफ हरे रंग की कालीन बिछी थी। दीवारों पर कई रंगों के बैलून सजे थे और बाहर लिखा था – सशक्त केन्द्र। बच्चों के खेलने के लिए झूले, उनको फुसलाने के लिए आंगनबाड़ी सेविकाएं मौजूद थीं। अंदर ‘आई एम ए प्राउड वोटर’ सेल्फी प्वाइंट भी बना था।
ये हाल था राजधानी पटना का दिल कहे जानेवाले गांधी मैदान के पास स्थित सेंट जेवियर्स स्कूल के बूथों का। इस स्कूल कैंपस में 6 बूथ बनाये गए थे। सबों पर सुविधा ऐसी कि वोटरों का दिल बाग-बाग हो जाए। लेकिन जिस वोटर को खुश करने के लिए ये सबकुछ था, वो यहां कितना पहुंचा। शाम 4 बजे जब हम इन बूथों पर वोटिंग का हाल लेने पहुंचे तो जो आंकड़े मिले, वो हैं :
बूथ नं 103 – कुल वोटरों की संख्या 602, वोट पड़े 155
बूथ नं 102 – कुल वोटरों की संख्या 744, वोट पड़े 226
बूथ नं 101 – कुल वोटरों की संख्या 551, वोट पड़े 82
बूथ नं 101 – कुल वोटों की संख्या 503, वोट पड़े 217
बूथ नं 100 – कुल वोटों की संख्या 568, वोट पड़े 95
बूथ नं 100 – कुल वोटों की संख्या 579, वोट पड़े 122