एएनएमएमसीएच में इलाजरत बीटीएमसी ड्राइवर की मौत हो गई। उसमें कोराेना का लक्षण था लेकिन, पांच दिनों से बीमार रहने के बाद भी उसे आइसोलेशन वार्ड में भर्ती नहीं किया गया। अंत्येष्टि के लिए चिता पर रखे शव से कोरोना जांच के लिए सैंपल निकाला। सैंपल को जांच के लिए आरएमआरआई पटना भेजने की तैयारी है। इस बारे में सिविल सर्जन डॉ. ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि सावधानी बरतते हुए अंत्येष्टि प्रोटोकॉल के अनुरूप की गई है। वह जिन-जिन लोगों के संपर्क में आया था, उन्हें चिह्नित कर क्वारेंटइन किया जा रहा है।
बड़ा सवाल
आखिर एम्स ने शव परिजनों को कैसे सौंप दिया मुंगेर निवासी चार बच्चों के पिता ड्राइवर का काम करते थे। उनके पड़ोसी मो. शहाब (जो एम्स में उनके साथ थे) ने बताया कि कतर में ठीक से इलाज नहीं होने की वजह से वे वहां से रवाना हो गए और पटना एयरपोर्ट होते गांव पहुंचे। पटना एयरपोर्ट पर होम क्वेरेंटाइन को कहा गया। घर में रह रहे थे पर उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। गांव पहुंचने के तीन-चार दिन बाद उसे मुंगेर के एक अस्पताल में भर्ती किया गया। वहां दो-तीन दिन इलाज चला पर उन्होंने किडनी की डायलिसिस की बात कह पटना ले लाने को कहा। पटना 20 मार्च की रात करीब दो बजे पहुंचे। पड़ोसी मो. शहाब ने बताया कि 21 को जब सुबह में उसकी मौत हो गई तो हम उनका शव गांव ले जाना नहीं चाहते थे। कई बार एम्स के डॉक्टरों व स्टाफ से कहा कि कोरोना का रिपोर्ट आने दें पर एम्स के स्टाफ लाश जबरन दे दिया। निमोनिया से मौत होने की बात कही।
कोरोना जैसी ये 3 लापरवाही
मंुगेर के एक 38 साल के युवक को एम्स में 20 मार्च को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया था। 21 मार्च की सुबह 9:28 में मौत हो गई। कोरोना की रिपोर्ट रविवार को आई। एम्स के निदेशक डॉ. पीके सिंह ने इसकी पुष्टि की। मरीज की दोनों किडनी भी फेल्योर थी। वहीं, एम्स के आइसोलेशन वार्ड में 19 मार्च से भर्ती दीघा के पोलसन रोड की 45 साल की महिला की भी रविवार को रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके अलावा एनएमसीएच में भर्ती मरीज की भी प्राथमिक रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, हालांकि आरएमआरआई की ओर से दोबारा मरीज की जांच कराई जा रही है। वह तीन दिन पूर्व एम्स से बिना भर्ती हुए निकल गया था। इधर, मुंबई से आए विशेष ट्रेन के 3990 यात्रियों की दानापुर में स्क्रीनिंग कराई गई। जिनमें 24 संदिग्ध मिले। इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।