बीते कुछ दिनों से इंटरनेट पर एक एड तेजी से वायरल हो रहा है। बेहतरीन म्यूजिक कम्पोजीशन और शानदार बैकग्राउंड स्कोर वाले इस एड में कुछ महिलाओं को तरबूज, अनार, ड्राई फ्रूट्स खाते हुए दिखाया गया है, लेकिन ये एड आया कहां से और ये इतना तेजी से पॉपुलर क्यों हो रहा है?
असल में भारत में फिलहाल फेस्टिव सीजन चल रहा है। पहले दशहरा, फिर करवाचौथ और अब दिवाली की तैयारी ज़ोरो-शोरों से चल रही है। दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस आता है, जब महिलाऐं सोने-चांदी के गहने खरीदती हैं।
ये एड इन्हीं महिलाओं से जुड़ा है। आंकड़ों पर गौर करें, तो औसत भारत में हर दो में एक महिला आयरन की कमी से जूझ रही है। ऐसे में सोने के सामने आयरन (लोहे) को ज्यादा कीमती और जरूरी बताने वाला ये एड बेहद शानदार है।
ये एड आया कहां से?
अब अगला सवाल आखिर ये एड आया कहां से? एनीमिया जैसी गंभीर और महिलाओं में आयरन की कमी जैसे गंभीर मुद्दे पर जागरुगता फैलाने वाले इस एड को एक डच कंपनी ने बनाया है। डच कम्पनी DSM (Dutch State Mines) बेहतर खान-पान और पोषण के क्षेत्र में काम करती है। इस कंपनी ने प्रोजेक्ट ‘स्त्रीधन’ नाम से कैम्पन शुरू किया ह, जिसका उद्देश्य भारत में महिलाओं को बेहतर सेहत के बारे में जागरुक करना है।
तमाम जागरुकता और अच्छे खान-पान के बावजूद भारत की करीब 50% शहरी महिलाएं एनीमिया से प्रभावित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ये आंकड़ें और भी ज्यादा गंभीर हैं। ऐसे में इस एड में बड़ी ही खूबसूरती से दिखाया गया है कि कैसे ये जरूरी है कि सोने और चांदी के साथ महिलाएं अपनी सेहत में भी निवेश करें।
‘लोहा चख ले’ नाम के इस म्यूजिकल एड में अलग-अलग फेस्टिव और ट्रेडिशनल ड्रेस में महिलाओं को आयरन रिच फ़ूड खाते हुए दिखाया गया है। एडवरटाइजिंग एजेंसी FCBUlka ने यह कैंपेन डिज़ाइन किया है। इस कैंपेन के जरिए दिखाया गया है हमारी सेहत भी किसी सोने से कम नहीं है, इसलिए जरुरी है कि सोने के साथ सेहत के सोने पर भी इस दिवाली पर निवेश किया जाए।
एनीमिया क्या है?
एनीमिया का मतलब होता है खून की कमी। नहीं-नहीं, सचमुच में खून नहीं सूखता । खून तो अगर पांच लीटर है तो पांच लीटर ही रहेगा। खून में एक चीज होती है- हीमोग्लोबिन। बोले तो खून का वो हिस्सा जो ऑक्सीजन ले के जाता है पूरे शरीर में। प्रोटीन होता है, बहुत ही ज़रूरी। हर एक डेसीलीटर खून के यूनिट में 12 से लेकर 18 ग्राम तक हीमोग्लोबिन होना चाहिए। 12 से लेकर 16 तक औरतों में सामान्य है। मर्दों में 13 से लेकर 18 तक। हीमोग्लोबिन की वजह से ही हमारा खून लाल होता है। इसके अन्दर आयरन यानी लोहे को अपने आप से बांधकर रखने ताकत होती है। और ऑक्सीजन उनसे जुड़कर ही शरीर में हर जगह तक पहुंचता है। इसीलिए जब खून बढ़ाने की बात होती है तो कहा जाता है हरी पत्तेदार सब्जियां खाने को क्योंकि उनमें आयरन काफी होता है। लेकिन जब हीमोग्लोबिन कम होने लगता है, तो शुरू होती हैं परेशानियां।
औरतों में ये परेशानी ज्यादा क्यों?
क्योंकि हमारे यहां की औरतें अपने खान-पान पर ध्यान नहीं देतीं। याद करने की कोशिश कीजिये आखिर बार कब आपने अपनी मां को घर में सबसे पहले खाना खाते हुए देखा था ? या फिर उन्हें ख़ास अपने लिए फ्रूट खरीदते हुए देखा था? नहीं याद? वही तो परेशानी है। औरतें अपनी सेहत पर तभी ध्यान देती हैं जब कुछ ऐसा हो जाए जो उनकी जान पर खतरा बन जाए। दूसरों का क्या कहूं, मेरी मां खुद तब तक डॉक्टर को नहीं दिखातीं जब तक बिस्तर से उठना मुश्किल न हो जाए। और वहीं घर में किसी और की थोड़ी सी भी तबीयत ख़राब होती है तो उसी वक़्त डॉक्टर को चार बार फ़ोन घुमा देती हैं।
एनीमिया जैसी हालत तब होती है जब ढंग से खाया-पिया ना जाए, सेहत पर ध्यान न दिया जाए, समय-समय पर चेकअप ना कराया जाए। हमारे देश में वैसे भी ज्यादातर लड़कियां और महिलाएं एनीमिक हैं। उनको भरपूर खाना नहीं मिलता। भरपूर से मतलब थाली भर के खाने से नहीं, पौष्टिक खाने से है। खून में आयरन की कमी से होता है एनीमिया। फिर आयरन की टैबलेट लेनी पड़ती है।
क्या होता है एनीमिया में?
हीमोग्लोबिन कम होगा तो ऑक्सीजन शरीर के सभी हिस्सों में ढंग से पहुंचेगा नहीं। मतलब सांस पूरी लेंगे, सांस का फायदा नहीं होगा। थकान हो जायेगी। खाया पीया शरीर को लगेगा नहीं। माहवारी में परेशानी होगी। कम खून आएगा, समय पे नहीं आएगा। कई बार बहुत ज्यादा आएगा । चेहरे की रौनक चली जायेगी, आंखों के नीचे काले घेरे हो जायेंगे। अगर आप प्रेग्नेंट होने की कोशिश कर रही हैं तो गर्भ ठहरने के बाद बच्चे के पोषण में दिक्कत हो जायेगी। और आपकी तो वाट लगनी तय है। उम्र बढ़ने पर परेशानियां और ज्यादा दिखाई देंगी, और उनसे छुटकारा पाना मुश्किल होता जाएगा।
क्या है इलाज?
एनीमिया का इलाज कोई मुश्किल नहीं है। डॉक्टर आपको धीरे-धीरे खाना-पीना ठीक करने को कहेंगे। उनकी दी हुई दवाइयां सही समय पर खानी होंगी। खुद से आप एनीमिया का टेस्ट नहीं कर सकते। डॉक्टर के पास जाकर ब्लड टेस्ट करवाना ही पड़ेगा। एक बार पता चल जाए कि आपका हीमोग्लोबिन कितना है, उसके बाद आप डॉक्टर की सलाह से दवाइयां लेना और खाना शुरू कर सकते हैं। आप हरी पत्तेदार सब्जियां खा सकती हैं। उनमें काफी ज्यादा क्वांटिटी में आयरन होता है। हमने जितने भी डॉक्टर्स से बात की, सबने कहा कि शुरुआत तो अच्छे खाने-पीने से करनी ही पड़ेगी। दवाइयां भी एक लिमिट तक आपकी मदद कर सकती हैं। लेकिन शरीर को हेल्दी रखना है तो आपको बेसिक चीज़ों से शुरुआत करनी होगी जिनमें आपकी खाने की आदतें सबसे पहले आती हैं।
ये एक ऐसी बीमारी है जिसे छुपाते नहीं हैं लोग। किसी को एनीमिया हो तो झट से बता देता है। शायद इसी वजह से इतना सामान्य है इसके बारे में सुनना। और इसी वजह से ये काफी खतरनाक है। क्योंकि लोग इसके बारे में सुनने के इतने आदी हो गए हैं कि इसे गंभीरता से नहीं लेते। किसी की शक्ल उतरी हो या फिर कमजोरी दिख रही हो तो लोग फटाक से कह देते हैं; ‘एनीमिक लग रही हो’।
क्या हैं खतरे?
इस बीमारी का इतना सामान्य हो जाना भी डराने वाला है। अधिकतर औरतों का हीमोग्लोबिन सात से नौ के बीच पाया जाता है। ये साधारण स्तर से काफी नीचे है। लेकिन अगर इसे एक सामान्य बात समझा जाता रहेगा तो दिक्कत ही होगी। यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, इसकी वजह से लाखों महिलाएं बीमारी में जीवन काटने को मजबूर होती हैं। एक सर्वे के अनुसार ग्लोबल न्यूट्रीशन इंडेक्स में भारत को सबसे निचले पायदान पर रखा गया है, क्योंकि यहां पर आधे से ज्यादा औरतें एनीमिक हैं। इनमें से अधिकतर औरतें वो हैं जो बच्चे पैदा करने की उम्र में हैं।
एनीमिया को साइलेंट किलर यानी ‘चुप्पा हत्यारा’ भी कहा जाता है। यानी ऐसी बीमारी जो बिना कोई ख़ास लक्षण दिखाए जान ले ले। और ऐसा नहीं है कि सिर्फ ग्रामीण इलाकों या छोटे शहरों की औरतें ही खाने में में ध्यान नहीं रखतीं और एनीमिक हो जाती हैं। बड़े बड़े शहरों में भी ये दिक्कत है। डॉक्टरों से बातचीत करने पर यह भी पता चला कि अधिकतर औरतों को अपनी प्रेगनेंसी ढंग से चलाने के लिए आयरन की गोलियां लेनी पड़ती हैं। इसलिए इसे लाइटली मत लीजिये। जांच कराइए। अपने घर की औरतों से कहिए। जान है, तो जहान है।