चीन को घेरने की तैयारी शुरू हो गई है । भारत के बाद अब अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी चाइनीज एप के बैन करने की बात चल रही है । अमेरिका के विदेश मंत्री ने एक साक्ष्ताकार के दौरान ये बात कही । अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने सोमवार को एक इंटरव्यू के दौरान कहा – हम TikTok सहित चीन के सभी सोशल मीडिया ऐप को प्रतिबंधित करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। अमेरिका के इस बात से चीन हिल गया है। यह चीनी कंपनियों के लिये खतरे की घंटी है जो कभी भी बज सकती है।
Pompeo says U.S. looking at banning Chinese social media apps, including TikTok: Fox https://t.co/7ELYvX5hfs pic.twitter.com/7vuuyKoKIn
— Reuters (@Reuters) July 7, 2020
पोम्पियो ने फॉक्स न्यूज से बातचीत में कहा- आखिरी फैसला राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेना है, लेकिन मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि हम चीनी ऐप्स पर बैन लगाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। लद्दाख तनाव के बाद भारत सरकार ने TikTok सहित 59 चाइनीज ऐप पर रोक लगा दी है। ऐसे में यदि अमेरिका और आस्ट्रेलियां भी प्रतिबंध लगाता है तो यह चीन के लिए दोहरे झटके के समान होगा।
खबरों की मानें, तो ऑस्ट्रेलिया में भी चीनी ऐप पर रोक लगाने की मांग हो रही है। वहां भी सरकार सख्त फैसला लेने जा रहे हैं। लिहाजा, आने वाले दिनों में यदि कई और देश इस अभियान में शामिल हो जायें तो कोई आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि बीजिंग अधिकांश देशों के लिये परेशानी बना हुआ है। भारत चीन को आर्थिक मोर्चे पर चोट पहुंचाना चाहता है, इसलिए सरकार ने ऐप पर बैन के साथ ही कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में TikTok प्रतिबंधित होने से चीनी कंपनी को करीब 6 अरब डॉलर का नुकसान होगा।
US Secretary of State Mike Pompeo says that the United States is “certainly looking at” banning Chinese social media apps, including #TikTok: Reuters
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अमेरिका TikTok का दूसरा बड़ा बाजार है। वहां टिकटॉक के 4.54 करोड़ यूजर हैं जबकि भारत में करीब 20 करोड़ यूजर थे। ऐसे में अगर अमेरिकी प्रशासन भारत की तरह इस पर बैन लगा देता है, तो चीन को तगड़ा झटका लगेगा। भारत सरकार की तरफ से कहा गया था – बैन किये गये चीनी ऐप के जरिये उपयोगकर्ताओं की जानकारियां हासिल की जा रही थी और ये देश की सुरक्षा के लिये खतरा बन गये थे। इस कार्रवाई के बाद से TikTok द्वारा लगातार सफाई पेश की जा रही है। उसका कहना है – भारतीय यूजर्स का डेटा सिंगापुर के सर्वर में सेव होता है। चीन की सरकार ने ना तो कभी डेटा की मांग की है और ना ही कंपनी इस अनुरोध को कभी पूरा करेगी।