इस रेल इंजन को गति पकड़ने में केवल 30 सेकेंड लगेंगे, जबकि दूसरे विद्युत इंजन को 45-60 सेकेंड लगते हैं। करीब 10 हजार कर्मचारियों ने 180 दिन में 112 इंजन बनाए, इनमें एक तेजस भी है। चित्तरंजन रेल इंजन कारखाने ने स्वदेशी तकनीक से पहला तेजस रेज इंजन बनाया है। इंजन 160 किमी प्रतिघंटे की स्पीड से दौड़ेगा। पहले तेजस इंजन (डब्लूएपी-5/35012-35013) को रेल कारखाने के जीएम प्रवीण कुमार मिश्रा ने शुक्रवार को देश को समर्पित किया। करीब 10 हजार कर्मचारियों ने 180 दिन (अप्रैल-सितंबर) की मेहनत कर 112 इंजन बनाए हैं। इसमें एक तेजस भी है। यह भारतीय रेल के इतिहास में पहला विद्युत रेल इंजन है, जो स्पीड, मॉडल, डिजाइन, तकनीक, रंग-रूप और क्षमता के हिसाब से नया और अद्वितीय है।
ईको फ्रेंडली है इंजन
रेल इंजन की खासियत है कि यह पहला पुश एंड पुल सिस्टम इंजन है यानी एक पायलट इसे दोनों छोर से चला सकेगा। अत्याधुनिक एयरोडायनेमिक डिजाइन युक्त यह इंजन ध्वनि रहित, प्रदूषण मुक्त और ईको फ्रेंडली है। इसे गति पकड़ने में केवल 30 सेकेंड लगेंगे, जबकि दूसरे विद्युत इंजन को 45-60 सेकेंड लगते हैं। कारखाने के कर्मचारियों के अनुसार, कोरोना काल को उन्होंने चुनौतियों के अवसर के रूप में लिया। रात-रातभर जागकर इंजन बनाए।
तेजस स्वदेशी तकनीक से बना पहला ऐसा इंजन है जो 160 किमी की स्पीड से दौड़ेगा। मेंटेनेंस भी और इंजनों की तुलना में कम खर्चीला चित्तरंजन रेल कारखाना के पीआरओ मंतार सिंह ने बताया कि तेजस इंसुलेटेड गेट बाई पोलर ट्रांजिस्ट (आईजीबीटी) सिस्टम से लैस है। यही खूबी इसे तेज गति देती है। इसमें 6000-6000 हाॅर्स पावर के दो इंजन होंगे। चालक एक ही रहेगा। एक इंजन आगे खींचेगा और दूसरा धकेलेगा। इसलिए इसे पुश-पुल सिस्टम इंजन कहा गया है। इसका निर्माण भारतीय रेल के तेजस प्रेस्टीजियस, प्रीमियम यात्री ट्रेन में सफल इस्तेमाल को ध्यान में रखकर किया गया है। इसके मेंटेनेंस में कम खर्च होंगे और यह ज्यादा ऊर्जा शक्ति प्रदर्शित करने वाला रेल इंजन साबित होगा।
स्विटजरलैंड की तकनीक पर तेजस इंजन पूरी तरह देसी
पूर्व रेल मंत्री सीके जाफर शरीफ के कार्यकाल में स्विटजरलैंड से एशियन ब्राउनिंग बोवेरी नाम की कंपनी से इंजन मंगाया गया था। चित्तरंजन में इस इंजन को लाया गया और गोमो लोको शेड में रख-रखाव किया जाता था। बाद में गाजियाबाद में रख-रखाव होने लगा। वर्तमान में लखनऊ से दिल्ली तक चल रही तेजस एक्सप्रेस के इंजन का मॉडल चेन्नई में बनाया गया। चित्तरंजन में बने तेजस इंजन की तकनीक पूरी तरह से देसी है। वर्षों पुराने इस रेल कारखाने के कर्मचारी-अधिकारियों का अनुभव और उनकी कार्य कुशलता के दम पर नई तकनीक विकसित की गई और इसका निर्माण संभव हो पाया।