अार्थिक पैकेज की घाेषणाअाें की तीसरी किस्त में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार काे कृषि, पशुपालन, फूड प्राेसेसिंग इत्यादि से जुड़ी 8 याेजनाएं बताईं। साथ ही 3 प्रशासनिक सुधाराें का एेलान किया। इसके लिए 65 साल पुराने अावश्यक वस्तु कानून में संशाेधन कर अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दाल, अालू अाैर प्याज जैसे खाद्य पदार्थ नियंत्रण मुक्त किए जाएंगे।
उत्पादन अाैर बिक्री नियंत्रण मुक्त करने के साथ ही इन उत्पादाें पर काेई स्टाॅक लिमिट भी नहीं रहेगी। सिर्फ राष्ट्रीय अापदा, अकाल जैसे हालात में दाम बहुत बढ़ने पर ही लिमिट लागू हाेगी। साथ ही, किसानाें काे देशभर में कहीं भी उत्पाद बेचने की छूट होगी।
वित्तमंत्री ने कहा कि बिहार के मखाना और कश्मीर के केशर, यूपी के आम, पूर्वाेत्तर के बांस, आंध्रप्रदेश की लाल मिर्च जैसे उत्पादाें के लिए अब क्लस्टर डेवलप करके उनको प्रमोट किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र में बुनियादी ढांचे अाैर क्षमता निर्माण के लिए 1 लाख कराेड़ रुपए की घाेषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी द्वारा घाेषित 20 लाख कराेड़ रुपए के पैकेज में से सरकार अभी तक 17.67 लाख कराेड़ रु. की याेजनाअाें का ब्याेरा दे चुकी है।
अगले दाे दिन में करीब 2.33 लाख कराेड़ तक की घाेषणाएं अाैर की जाएंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि शुक्रवार को हुई घोषणाओं से ग्रामीण अर्थव्यवस्था, मेहनती किसानों, मछुआरों और डेयरी क्षेत्रों में लोगों को फायदा होगा। उनकी आय बढ़ेगी।
10 लाख लोगों को काम दे सकता है मखाना का उद्योग : वित्त मंत्री ने जो बातें कहीं, वह पहली बार नहीं आई है। 2006 में नाबार्ड को योजना आयोग से मधुबनी में मखाना के लिए क्लस्टर तैयार करने का प्रोजेक्ट सरकारी एप्रोच के कारण आगे नहीं बढ़ सका था और 54 करोड़ वापस हो गए थे। भागलपुर में मेगा फूड पार्क जिस तरह सपना बनकर रह गया, वैसा न हो जाए।
बाढ़ प्रभावित बलुआही मिट्टी के आठ जिलों दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, फारबिसगंज, सहरसा और सुपौल में ही दुनिया का 98 प्रतिशत मखाना उपजता है, शेष दो प्रतिशत उत्पादन प. बंगाल और उड़ीसा करते हैं। देश में कागजी बादाम, काजू और अखरोट की 4.5 लाख टन खपत है और मखाना 20 हजार टन ही।
मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि कृषि भू-भाग को बढ़ाकर उत्पादन दो लाख टन हो सकता है। बशर्ते क्लस्टर डेवलपमेंट के लिए मार्केट ड्रिवन एप्रोच हो। राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड की स्वीकृति के बाद नीतीश कुमार सरकार में शुरू की गई पहली इंडस्ट्री यही है। पहले साल इसमें 600 किसान थे, आज 12000 किसान जुड़ चुके हैं। इकलौती खरीदार मेरी शक्ति सुधार इंडस्ट्री है। मखाना की खेती, फूड प्रोसेसिंग, मार्केटिंग आदि को मिलाकर एक टन पर 5 लोग कार्यरत हैं।
यानी, 20 हजार टन पर 1 लाख लोग। दो लाख टन उत्पादन पहुंचाने पर 10 लाख लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से काम मिलना भी तय है। ऐसा संभव हुआ तो बिहार की अर्थव्यवस्था में सिर्फ मखाना ही 10 हजार करोड़ कृषि मूल्य का योगदान देगा।
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