
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई कल पूरी हो गई है । सीजेआई ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है । इसी बीच सोशल मीडिया पर एक खबर दौड़ी की मुस्लिम पक्ष ने अपना केस वापस ले लिया है यानि सुलहनामें पर दस्तख्त कर दिया है । खैर जो भी हो…
इन सबसे अलग राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) का ध्यान अब ‘अगले कदम’ पर केंद्रित है। आरएसएस के वैचारिक परामर्शदाताओं ने हरिद्वार में मुख्यत: इस बाबत और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई है, जो 31 अक्टूबर से शुरू होगी । यह एक उच्चस्तरीय बैठक है जो आम बैठक की तरह नहीं है। यह प्रत्येक पांच वर्षो में एक बार होती है।
संघ ने हालांकि इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं कहा है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत जब भैयाजी जोशी, दत्तात्रेय हसबोले और कृष्ण गोपाल समेत अपने शीर्ष स्तर के कनिष्ठ पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे तो राम मंदिर उनका शीर्ष एजेंडा होगा।
बैठक की महत्ता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि संघ से जुड़े सभी संगठनों के प्रचारक चार नवंबर तक चलने वाली इस बैठक में उपस्थित रहेंगे।
एक सूत्र ने कहा कि बैठक के दौरान राम मंदिर पर एक प्रस्ताव पारित किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सभी वरिष्ठ लोग भी इनके सभी महत्वपूर्ण बैठकों में भाग लेगी। पार्टी को सम्मेलन की व्यापक भावनाओं के प्रति एक समझ विकसित करने के लिए बैठक में शामिल होने के लिए कहा गया है।
पांच दिवसीय बैठक का आयोजन 17 नवंबर को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के सेवानिवृत्ति से एक पखवाड़ा पहले और बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी से एक महीना पहले आयोजित की जा रही है।
इधर बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने पहले ही कह रखा है कि 6 दिसंबर यानी शौर्य दिवस के दिन अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा ।