
बिहार विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही सियासी गलियारे चमक उठे हैं। चुनावी मैदान में नेता पैराशूट से उतरने लगे हैं। देशभर से नेताओं का आना जाना लगा हुआ है। हर दिन नेता किसी ना किसी पार्टी का हाथ थाम रहे हैं। शुक्रवार को इसी कड़ी में देश के जाने माने शायर मुनव्वर राणा की बेटी फौजिया राणा ने कांग्रेस का दामन पकड़ा। चुनाव की घोषणा के बाद पार्टी की सदस्यता लेने पर कांग्रेस के टिकट पर उनके चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज हैं। उन्हें मजबूत महिला उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है। मीडिया से बातचीत में फौजिया ने इस बात का खुलासा तो नहीं किया है। लेकिन चुनाव लड़ने से इनकार भी नहीं किया। फौजिया का कहना है कि पार्टी टिकट देगी तो वह पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ने को तैयार हैं।
बातचीत में फौजिया ने कहा- जहां सम्मान की बात हो वहां हर इंसान जाना चाहता है। इंसान सम्मान वाली जगह को ही पसंद करता है। फौजिया का कहना है कि उनके साथ भी ऐसा ही है। सम्मान के लिए ही कांग्रेस ज्वाइन की हैं। वह (बाढ़) बिहार में रहती हैं, इस कारण बिहार को लेकर बहुत कुछ करने की इच्छा है। फौजिया का कहना है कि अगर पार्टी उन्हें प्रत्याशी बनाती है तो वह जरूर चुनाव लड़ेंगी। इसके लिए वह तैयार हैं। सीएए और एनआरसी को लेकर लखनऊ में हुए विरोध प्रदर्शन में योगी सरकार ने उनके और उनकी बहन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इस कार्रवाई के बाद वह चर्चा में आई थी। जिसके बाद उन्होंने योगी सरकार पर निशाना साधा था। वह एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रदर्शन में कई धरनें में शामिल हुईं। इस लड़ाई से ही काफी चर्चा में रहीं। बिहार में भी वह इसके विरोध में कई मंचों पर अक्रामक हुईं थीं। फौजिया का यही तेज कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को भी प्रभावित कर रहा है और अब चर्चा एक सशक्त महिला प्रत्याशी के रूप में बिहार विधानसभा चुनाव में दावेदारी पेश करने को लेकर होने लगी है।
कांग्रेस को भी बड़ी संजीवनी की तलाश है। वह ऐसे लोगों को पार्टी में लाना चाहती है जिसकी अपनी अलग पहचान हो। इसी क्रम में फौजियों को भी कांग्रेस से जोड़ने का काम किया गया है। फौजिया को लेकर कांगेस में उम्मीदें बढ़ गई हैं। शुक्रवार को कार्यालय में उनके पार्टी ज्वाइन करने के साथ ही कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ गया। महिला नेत्री में वह फौजिया में भविष्य तलाश रहे हैं और फौजिया को भी कांग्रेस में सम्मान दिख रहा है। कांग्रेस ज्चाइन करने के पीछे फौजिया का बस एक ही जवाब है कि सम्मान पाकर कांग्रेस पहुंचीं।