रूबी रॉय याद है आपको । अरे वही प्रोडिकल साइंस वाली । जिसको मीडिया ने दिखा-दिखा कर इतना छीछालेदर किया था कि बिहार के नाम से लोग शर्मा जाए । इतना की बिहार के गौरवशाली परंपरा बस इस एक रूबी राय के वजह से धुमिल हो गई हो ।
बिहार में अगर इस तरह की खबरें आती हैं, जिनमें उसे अर्थात् बिहार को बदनाम किया जाता है तो वे खबरें बहुत हीट होती हैं। वहीं अगर बिहार को प्रोत्साहित करने वाली खबरें अगर आती हैं तो मीडिया उसे उतनी तुल नहीं देता है, जिस तरह से प्रोडिकल साइंस का एडवरटिडमेंट हुआ था।
अभी हाल ही में महाराष्ट्र से ठीक वैसी ही तस्वीर सामने आयी है, जैसी तस्वीर बिहार में दिखी थी, जब यहां एग्जाम हो रहे थे। यहां लोग दीवारों पर खड़े होकर 10वीं के परीक्षार्थियों को चीट उपलब्ध करवा रहे हैं।
#WATCH Maharashtra: People seen climbing the boundary walls and providing chits to students, writing their class X Matriculation examination at Zila Parishad School, Mahagaon in Yavatmal district. (03.03.2020) pic.twitter.com/IqwC4tdhLQ
— ANI (@ANI) March 3, 2020
इसके साथ ही हरियाणा से भी कुछ ऐसी ही खबर आयी है, जिसमें अपने चहेतों तक नकल पहुंचाने की जद्दोजहद चल रही थी। हरियाणा बोर्ड परीक्षा को नकल रहित बनाने का दावा पहले ही दिन चरमरा गया। पॉश एरिया स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में परीक्षा शुरू होने के 20 मिनट बाद ही बाहर खड़े युवक खिड़कियों से पर्चियां फेंकते दिखे।
इसी बीच शिक्षा विभाग के अधिकारी और फ्लाइंग टीम परीक्षा केंद्र का निरीक्षण करने में व्यस्त रहे। बाहर खिड़कियों से पर्ची फेंकने का सिलसिला परीक्षा समाप्त होने तक जारी रहा। इस तरह आप देख सकते हैं कि बिहार को बदनाम करने में आगे रहने वाले लोग इस वक्त क्यों खामोशी को ओढ़कर बैठे हैं।
नेताओं के बयानों से ज्यादा तो ये तस्वीरे बोल रहीं हैं कि कैसी शिक्षा व्यवस्था कायम है इन दिनों। बेहतर यही है कि इन मुद्दों को भी उसी तरह से सामने लाया जाये जैसे बिहार के मुद्दों को सामने लाया जाता है। अगर गलती हुई है तो उसे सुधारने का प्रयास करना चाहिए। आप क्या कहते हैं इस विषय पर क्योंकि मामला महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे संपन्न राज्यों का है तो राष्ट्रीय मीडिया में इसका उपहास नहीं बनेगा, यही बिहार का होता तो अबतक करोड़ो मेहनतकश युवाओं के योग्यता पर सवाल उठ चुका होता। हमें जरुर बताएं।