अमेरिका के सिएटल में कोरोनावायरस से लड़ने के लिए नई वैक्सीन का परीक्षण हो रहा है। दुनिया भर को हिला देने वाले इस वायरस से निपटने के लिए अमेरिका में शोधकर्ताओं के एक समूह ने सोमवार को इसकी पहली खुराक एक व्यक्ति को दी। पूरी दुनिया में इस तरह का ये पहला मामला है जब इसकी वैक्सीन को किसी मनुष्य पर इस्तेमाल किया जा रहा हो।
सिएटल स्थित कैसर परमानेंट वॉशिंगटन रिसर्च इंस्टीट्यूट में कोविड-19 वैक्सीन के पहले चरण की खुराक पर ये रिसर्च चल रहा है। अमेरिका का दावा है कि चीन में वायरस के फैलने के बाद इसे रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है।
इस टीम की अगुवाई करने वालीं डॉक्टर लीज़ा जैक्सन ने लॉस एंजिल्स टाइम्स को बताया, “अब हम टीम कोरोनावायरस हैं। इस आपातकालीन घड़ी में हर कोई हर मुमकिन काम करने में जुटा है।”
शोधकर्ताओं के मुताबिक़ वैक्सीन में बीमारी पैदा करने वाले वायरस का जेनेटिक कोड कॉपी किया गया है ताकि इस वायरस पर क़ाबू पाया जा सके। जानकारों का मानना है कि ये जानने में अभी महीनों लग जाएंगे कि वैक्सीन सही तरीक़े से काम कर रहा है या नहीं।
इस वैक्सीन का कोड नाम mRNA-1273 रखा गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि वैक्सीन से वॉलेंटियर्स में कोरोनावायरस नहीं फैलेगा क्योंकि वैक्सीन में इस वायरस का अंश नहीं है। इसमें सिर्फ़ जेनेटिक कोड को कॉपी किया गया है।
इस वैक्सीन को NIH और मैसेचुसेट्स स्थित बायोटेक कंपनी मॉडेर्ना इंक तैयार कर रही हैं। कोरोनावायरस के लिए दुनिया भर में और भी वैक्सीन तैयार हो रही हैं। चीन, जर्मनी, दक्षिण कोरिया और अमेरिका में ही दूसरी कंपनियां भी इस दिशा में शिद्दत से जुटी हैं।
कौन हैं जेनिफर हैलर
लैब में ख़ुद के ऊपर परीक्षण के लिए चार लोगों ने मंजूरी दी। इनमें पहली शख्स हैं जेनिफर हैलर। हैलर एक छोटी टेक कंपनी में ऑपरेशनल मैनेजर की नौकरी करती हैं। उनकी बाज़ू में इस वैक्सीन की पहली इंजेक्शन दी गई। हैलर के अलावा तीन और लोगों पर इस वैक्सीन का इस्तेमाल किया गया है। माना जा रहा है कि एक महीने के भीतर कुल 45 लोगों के ऊपर इस वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा।
जेनिफर हैलर 43 साल की महिला हैं जो सिएटल की ही रहने वाली हैं। दो बच्चों की मां हैलर सामाजिक कार्यों में भी काफी रुचि रखती हैं। जेनिफर कहती हैं, “इस मोड़ पर हम अपनी ज़िंदगी हाथ धोकर और वर्क फ्रॉम होम की बजाए इस वायरस से लड़कर बिताना चाहते हैं।”
वो आगे कहती हैं, “हम इतने निस्हाय महसूस कर रहे हैं। ऐसे वक़्त में इस कुछ कर दिखाने का मेरे लिए ये शानदार अवसर है।” दो किशोर उम्र के बच्चों की मां जेनिफर कहती हैं कि उनके बच्चे उनके इस कदम से काफी ख़ुश हैं कि वो इस रिसर्च में हिस्सेदारी निभा रही हैं। जेनिफर के पति एक सॉफ्टवेयर टेस्टर हैं जिन्हें पिछले हफ्ते ही नौकरी से निकाल दिया गया। इससे परिवार की आमदनी आधी हो गई। मौजूदा हालात में नौकरी तलाशना भी मुश्किल है। जेनिफर कहती हैं, “मुझे लगता है कि शायद हमें उसके लिए छह महीने तक काम करने की तैयारी करनी होगी।”
जेनिफर सिएटल में एक छोटी टेक कंपनी में ऑपरेशन मैनेजर की नौकरी करती हैं। उन्हें तीन मार्च को फेसबुक के जरिए वैक्सीन रिसर्च के बारे में पता चला। वॉशिंगटन रिसर्च इंस्टूट्यूट ने भर्ती शुरू की और उन्होंने इसके लिए तुरंत फॉर्म भर दिया। दो दिन बाद उन्हें अनजान नंबर से फोन आया जो रिसर्च टीम की ओर से आया था।
वॉलेंटियर्स के है हौसले बुलंद
जिन पर परीक्षण हो रहा है उनके हौसले बुलंद हैं। वॉलेंटियर्स का कहना है कि लोगों की मदद के लिए उन्होंने ये रास्ता चुना है।
जिन लोगों को इंजेक्शन दिया गया उनका कहना है एक सामान्य फ्लू वैक्सीन जितना ही उन्हें दर्द हुआ। इनमें से कुछ लोगों को ज़्यादा सख़्त डोज़ दिया जाएगा ताकि देखा जा सके कि डोज की अधिकतम सीमा क्या हो सकती है। इनपर साइड इफेक्ट का असर भी देखा जाएगा। ये भी देखा जाएगा कि इनकी प्रतिरोधक क्षमता कितनी है।
इन वालंटियर्स का कहना है कि उनकी मंशा ख़ुद को बचाने की नहीं है। इनका कहना है कि हमारी भूमिका इस मायने में छोटी है कि 18 महीने तक चलने वाली ये कोशिश क़ामयाब हो और पूरी दुनिया को इसका लाभ मिले। ये वालंटियर टेक इंडस्ट्री और स्वास्थ्य रिसर्च में काम करते हैं। इनमें से दो वालंटियर के बच्चे हैं और सभी घर पर रहकर ही काम कर रहे हैं।
लोगों की मदद के लिए उठाया ये कदम
अमरीका में जिसे भी पता चला कि कोई ऐसी महिला भी है उनके बीच जिसने अपनी ज़िंदगी को इस बीमारी के खिलाफ दांव पर लगा दिया है, वह बस जेनिफर से एक ही सवाल करना चाहता है – क्यों? क्यों उठाया उन्होंने ये जान की जोखिम वाला कदम? अपने ऊपर कोरोना वायरस वैक्सीन का परीक्षण कराने वाली जेनिफर हालर न दुखी है न डरी हुई हैं. जेनिफर कहती हैं कि मैंने लोगों की मदद के लिए ये फैसला किया है. हम आज ज़िंदगी के उस मोड़ पर खड़े हैं जहां हमें ज़िंदगी और मौत में से एक को चुनना पड़ सकता है. इसलिए क्यों न मैं वर्क फ्रॉम होम करने की बजाए इस वायरस से लड़कर अपनी ज़िंदगी का इस्तेमाल कर लूँ ।