केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश कर दिया है।गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह बिल 0.001 प्रतिशत भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। इस बिल से जुड़े विपक्ष के हर सवाल का जवाब दिया जाएगा। नागरिकता संशोधन विधेयक पर राजनीतिक खेमेबंदी की तस्वीर साफ हो गई है। घटक और बीजेडी जैसे मित्र दलों के समर्थन के बूते एनडीए सरकार ने बिल को पारित कराने की तैयारी कर ली है। इधर, कांग्रेस की अगुआई में अधिकांश विपक्षी दलों ने भी नागरिकता संशोधन बिल के वर्तमान स्वरूप को देश के लिए खतरनाक बताते हुई इसके विरोध की ताल ठोक दी है। शिवसेना का कहना है कि केंद्र इस बिल के जरिए हिंदू-मुस्लिमों के बीच अदृश्य बंटवारा कर रही है।
नागरिक संशोधन विधेयक को कानून का उल्लंघन बताने वाले विपक्षी नेताओं को जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा- रिजनेबल क्लासिफिकेशन के आधार पर इस देश में आर्टिकल 14 रहते हुए कई कानून बने हैं। देखिए, समानता के आधिकार के कानून दुनियाभर के कई देशों में है, लेकिन क्या आप वहां जाकर नागरिकता ले सकते हैं? वो ग्रीन कार्ड देते हैं, निवेश करने वालों, रिसर्च और डिवेलपमेंट करने वालों को देते हैं। रिजनेबल क्लासिफिकेशन के आधार पर ही वहां भी नागरिकता दी जाती है। फिर ऐसा भी नहीं कि पहली बार सरकार नागरिकता के लिए कुछ कर रही है। इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश से आए लोगों को नागिरकता देने का निर्णय किया था। पाकिस्तान से आए लोगों को नागरिकता फिर क्यों नहीं दी गई? आर्टिकल 14 की ही बात है, तो सिर्फ बांग्लादेश से आने वालों को क्यों नागरिकता दी गई?