मछली खाकर होती है व्रत की शुरआत, यह उतना ही अनिवार्य है जितना बकरीद के दिन गोश्त
हरिनाथ झा का एक प्रसिद्ध गीत है, हे गे बुधनी माय । उस गीत में एक पंक्ति है, ‘आय पकबिहे ...
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